पटना: नीतीश कुमार दो दशक से बिहार के सीएम हैं. उनके पास गठबंधन सरकार चलाने का सबसे ज्यादा अनुभव है. वह तब भी बीजेपी के साथ रहे जब राष्ट्रीय स्तर पर कोई उसका सहयोगी बनने को तैयार नहीं था. इससे पहले उनकी भूमिका केंद्र में मंत्री के तौर पर थी. बिहार में नीतीश के शासन […]
पटना: नीतीश कुमार दो दशक से बिहार के सीएम हैं. उनके पास गठबंधन सरकार चलाने का सबसे ज्यादा अनुभव है. वह तब भी बीजेपी के साथ रहे जब राष्ट्रीय स्तर पर कोई उसका सहयोगी बनने को तैयार नहीं था. इससे पहले उनकी भूमिका केंद्र में मंत्री के तौर पर थी. बिहार में नीतीश के शासन को लोग सुशासन भी कहते रहे हैं.
बिजली, पानी और सड़क जैसी ढांचागत सुविधाओं के विकास कार्यों के कारण कुछ लोग उन्हें विकास पुरुष मानते थे। कुछ लोगों का मानना है कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल हैं. ऐसा मानने वालों में जेडीयू नेता तो हैं ही, कभी-कभी राजद नेता भी यही कहते थे. जेडीयू नेताओं ने हाल ही में नीतीश कुमार को राजनीति का चाणक्य बताया था, जिन्होंने समय-समय पर सहयोगी दल बदलकर बिहार में सीएम के रूप में अपनी कुर्सी बरकरार रखी. अब जेडीयू के लोग भी उन्हें भारत रत्न देने की मांग करने लगे हैं.
अपवादों को छोड़ दें तो अब तक आम तौर पर लोगों को सेवानिवृत्ति के बाद या मरणोपरांत ही भारत रत्न से सम्मानित किया जाता रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नीतीश कुमार रिटायरमेंट की तैयारी में लग गए हैं? जब नीतीश कुमार साल 2024 में एक बार फिर बीजेपी से हाथ मिलाने की तैयारी में थे, उसी वक्त केंद्र की बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने उनकी एक बड़ी और पुरानी मांग पूरी कर दी. नीतीश बिहार के सीएम रहे समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग कर रहे थे.
वहीं केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर नीतीश की मांग पूरी की. वहीं अब जेडीयू के लोग नीतीश कुमार को भारत रत्न देने की मांग कर रहे हैं. शनिवार को जेडीयू की बिहार प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के दौरान पार्टी कार्यालय के बाहर ऐसे पोस्टर दिखे. आमतौर पर नीतीश कुमार मीडिया से बात करने से नहीं हिचकिचाते. लेकिन, हाल के दिनों में उन्होंने मीडिया से बात करना बंद कर दिया है। इसके बजाय, एक पीआर एजेंसी उनकी ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी करती है। इसलिए इस बारे में नीतीश का क्या कहना है ये तो पता नहीं.
जिन दिनों नीतीश बीजेपी के खिलाफ विपक्षी मोर्चा बनाने में सक्रिय थे, उन दिनों उनके पीएम चेहरा बनने की खूब चर्चा थी. इसकी चर्चा सिर्फ जदयू के लोगों ने ही नहीं की. राजद ने उन्हें पीएम चेहरा बनाने की बात भी कही थी. राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा था कि लालू यादव ने नीतीश को पीएम बनाने के लिए अपना आशीर्वाद दिया है. लालू जिस पर आशीर्वाद दें वह पीएम बन जाता है.
उन्होंने एचडी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल का भी नाम लिया. वहीं नीतीश खुद इस बात से इनकार करते रहे. वह पीएम तो नहीं बन सके, लेकिन जेडीयू नेता केसी त्यागी ने बताया था कि लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद इंडिया ब्लॉक ने उन्हें पीएम बनने का ऑफर दिया था. नीतीश ने खुद इस पर कभी कुछ नहीं कहा और उन्होंने बीजेपी के साथ ही रहना पसंद किया. माना जा रहा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को नीतीश को भारत रत्न देने में कोई आपत्ति नहीं हो सकती. क्योंकि बीजेपी के साथ उनके कड़े रुख के चलते ये नामुमकिन नहीं है.
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