अयोध्या. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने अयोध्या की विवादित जमीन के आसपास अविवादित जमीन की मांग करते हुए याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की. ऐसे में केंद्र सरकार की इस अर्जी का निर्मोही अखाड़ा और रामलला ने विरोध किया है. निर्मोही अखाड़े ने सरकार से उसकी इस मांग की मंशा पूछते हुए कोर्ट जाने की धमकी दी है. इसके साथ ही आशंका है कि अगर मंदिर बनने की नौबत आती है तो केंद्र की भाजपा सरकार विश्व हिंदू परिषद को मंदिर निर्माण का जिम्मा सौंप सकती है.
- निर्मोही अखाड़े के मुताबिक, वीएचपी ने राम मंदिर आंदोलन में जमा रुपयों का घोटाला किया है, निर्मोही अखाड़े की कहना है कि इस घोटाले की रकम 1400 करोड़ रुपए तक हो सकती है.
- निर्मोही अखाड़े के सरपंच सीताराम दास का इस बारे में कहना है कि सरकार वीएचपी को कब्जा दिलवाने के लिए प्रयासरत है. यह याचिका निर्मोही अखाड़े की जमीन पर कब्जा करने के लिए याचिका दायर की गई है. जल्द ही हम इस याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लाएंगे.
- निर्मोही अखाड़े की मांग होगी कि वह जमीन हमें दी जाए, ना कि केंद्र सरकार और वीएचपी को. वहां मंदिर का निर्माण निर्मोही अखाड़ा करेगा. इसलिए सरकार विश्व हिंदू परिषद के प्रति अपना मोह त्याग कर निर्मोही अखाड़े को जमीन दे.
- वहीं राम मंदिर मामले के पक्षकार मंहत धर्मदास ने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए कहा है कि इससे वीएचपी और राम जन्मभूमि न्यास को कमाई होगा और यह सब चुनावी फायदे के लिए किया जा रहा है.
- मंहत धर्मदास के अनुसार, सरकार की ओर से जारी याचिका का हम विरोध करेंगे, वहां पर जितनी भी जमीन है, उसके मालिक रामलला है. किसी भी ट्रस्ट को यह जमीन नहीं दी जा सकती है.
- मंहत धर्मदास ने आगे कहा कि सप्रीम कोर्ट में यह याचिका बिल्कुल गलत है और इस तरह से विश्व हिंदू परिषद इस मामले को कोर्ट में लटकाना चाहता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट सरकार की याचिका को कूड़ेदान में फेंक देगा.आपको बता दें कि निर्मोही अखाड़े का ये रुख इसलिए अहम है क्योंकि वो अयोध्या मामले में पक्षकार है.
- प्रयागराज (इलाहाबाद) हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए विवादित 2.77 एकड़ तीन पक्षों के बीच जमीन बांटी थी जिसका एक हिस्सा निर्मोही अखाड़े को मिला है. हालांकि केस सुप्रीम कोर्ट में होने की वजह से जमीन का बंटवारा नहीं हो सकता है
- .हाईकोर्ट के फैसले से केंद्र सरकार ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में भी एक पेंच फंस रहा है. दरअसल केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में सिर्फ 0.313 एकड़ जमीन को विवादित माना है, जबकि हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार, 2.77 एकड़ जमीन विवादित है जिसे तीन पक्षकारों के बीच में बांटा जाएगा.
- दूसरी ओर संघ के सहयोगी वीएचपी ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए इसे अच्छा कदम बताया है. कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि अभी तक राम मंदिर मामले में कोई फैसला आता नहीं नजर आ रहा है. इसलिए कोर्ट से अविवादित जमीन को राम जन्मभूमि को वापसी की मांग एक अच्छा कदम है.
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