नई दिल्ली: रेप के मामले दिन पर दिन बढ़ते ही जा रहे हैं. लोगों के बीच क्रूरता इतनी बढ़ गई है कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही है. हर दिन 86 से ज्यादा महिलाएं इसका शिकार बन रही हैं. बलात्कार के मामलों में मौत की सज़ा के प्रावधान के बावजूद 24 साल में केवल पांच बलात्कारियों को मौत की सज़ा दी गई है. 2004 में धनंजय चटर्जी को 1990 के रेप केस में फांसी दे दी गई. वहीं, मार्च 2020 में निर्भया के चारों दोषियों- मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई.
16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली की एक सड़क पर चलती बस में एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. इस दौरान बदमाशों ने सारी हदें पार कर दीं और बाद में लड़की की मौत हो गई. निर्भया कांड के बाद कानून को काफी सख्त बनाया गया. रेप की परिभाषा भी बदल दी गई, ताकि इसे महिलाओं के खिलाफ अपराध की श्रेणी में शामिल किया जा सके. पहले केवल बल से बने रिश्तों को ही बलात्कार के दायरे में लाया जाता था. लेकिन बाद में 2103 में कानून में संशोधन कर इसका दायरा बढ़ा दिया गया.
इतना ही नहीं, किशोर कानून में संशोधन किया गया. इसके बाद अगर 16 साल से कम और 18 साल का कोई किशोर अत्यंत बुरा अपराध करता है तो उसे कड़ी सजा मिलती है. यह संशोधन इसलिए किया गया क्योंकि निर्भया के 6 दोषियों में से एक नाबालिग था और 3 साल के भीतर रिहा हो गया था. इसके अलावा बलात्कार के मामलों में मृत्युदंड का भी प्रावधान किया गया. इसके बाद अगर रेप के बाद पीड़िता की मौत हो जाती है या वह कोमा जैसी स्थिति में आ जाती है तो दोषी को मौत की सजा भी दी जा सकती है. इन अपराधों में सिर्फ रेप ही नहीं बल्कि छेड़छाड़, दहेज हत्या, अपहरण, तस्करी, एसिड अटैक जैसे अपराध भी शामिल हैं.
2012 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 2.44 लाख मामले दर्ज किये गये थे,और 24, 923 मामले दर्ज हुए थे, हर दिन 68 मामले. 2013 में 33 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किये गये. 2016 में ये आंकड़ा 39 हजार के करीब पहुंच गया था. हर दिन औसतन 68 केस. 2022 में 31 हजार 516 मामले दर्ज किए गए. इस हिसाब से हर दिन औसतन 86 मामले दर्ज किए गए. 2022 में 4.45 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए. यानी हर दिन 1200 से ज्यादा केस.
1. राजस्थान में रेप के 5,399 मामले दर्ज किए गए.
2. 3,690 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर था.
3. तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश 3,029 मामले दर्ज किए गए.
4. चौथे स्थान पर महाराष्ट्र 2,904 मामले दर्ज किए गए.
5. पाँचवे स्थान पर हरियाणा 1,787 मामले दर्ज किए गए.
6. छठे स्थान पर ओडिशा 1,464 मामले दर्ज किए गए.
7. सातवें स्थान पर झारखण्ड 1,298 मामले दर्ज किए गए.
8. आठवें स्थान पर छत्तीसगढ़ 1,246 मामले दर्ज किए गए.
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