उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले का मुशाहरा गांव एक ऐसा गांव है जहां ना तो बकरीद पर बकरा कटता है और ना ही होली पर होलिका दहन होता है. दोनों समुदाय के लोग लगभग एक दशक से ऐसे ही त्योहार मनाते आ रहे हैं.
लखनऊः जहां देश भर में मुसलमान समुदाय के लोग 22 अगस्त को आने वाली बकरीद की तैयारियों में जुटे हुए हैं ऐसे में यूपी के संतकबीर नगर का एक गांव ऐसा भी है जहां बकरीद को बकरा ही नहीं काटा जाता. मुशाहरा नाम के इस गांव में साल 2007 सात से ही बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी पर प्रतिबंध है. पुलिस का कहना है कि इस गांव में बकरीद पर कोई भी बकरे नहीं काटता औऱ यह त्योहार हंसी-खुशी के साथ बीतता है. इस गांव की एक और अनोखी बात है कि यहां होली पर हिंदू समुदाय के लोग होलिका दहन भी नहीं करते.
धरम सिंघवा पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर शिव बारन यादव ने बताया कि करीब 10 साल पहले कब्रिस्तान के पास होलिकादहन करने से दो समुदायों में झड़प हो गई थी. जिसके बाद प्रशासन ने दोनों के बीच सुलह कराई. जिसमें दोनों गुटों के बीच समझौता हुआ कि मुस्लिम जानवरों को नहीं काटेंगे और हिंदू होली पर होलिकादहन नहीं करेंगे. जिसके बाद से किसी को बकरा काटने की अनुमति नहीं दी गई.
उन्होंने बताया कि साल 2007 से ही हम गांव की सभी बकरे,बकरियों को इकट्ठा करते हैं और जिला पशु चिकित्सा विभाग में डॉक्टरों कोे पास छोड़ आते हैं. त्योहार खत्म होने के बाद गांववालों को अपने जानवर वापस मिल जाते हैं. इसी तरह हम यहां किसी हिंदू को होली के त्योहार पर होलिकादहन भी नहीं करने देते. हालांकि एसएचओ ने बताया कि बकरीद के तीन दिन बाद मुस्लिम समुदाय के लोग बकरा काटते हैं फिर उसे दोनों की समुदाय लोग मिलकर त्योहार मनाते हैं. एसपी शैलेश कुमार पांडे ने बताया कि बकरीद को लेकर कोई भी विवाद नहीं होता. दोनों समुदाय के लोग प्रशासनिक आदेश को मानते हैं.
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