जयपुर: जिंदगी में कुछ भी जो कुछ भी हो जाए, मैं हार नहीं मानता… हौसला होना मायने रखता है, अगर जीत के लिए सोचेंगे, तो तभी जीतेंगे. 2022 में मेरे जीवन में एक तूफान आया, यह तुफान इतना भयानक था कि, शायद मैं इसे भूल नहीं पाऊंगा. मैं अपने परिवार में सिंगल चाइल्ड हूं. झटका तो बहुत बड़ा था, दरअसल सिलसिला तब शुरू हुआ, जब यूरिनेशन के समय जब दर्द हुआ था.
जब सोनोग्राफी किया गया, तो उसमें ट्यूमर और बायोप्सी जांच में कैंसर सामने आया. तब मैं उस समय क्लास 11 में था, उसके बाद से जो इलाज का दौर शुरू हुआ, वो इस साल अप्रैल में जा के खत्म हुआ. मैं पॉजिटिव था, क्योंकि मुझे आगे बढ़ना था. पहले मैं ने कैंसर को हराया फिर परीक्षाएं दी. आज मैं सिर्फ एक परीक्षा में नहीं, बल्कि दोनों परीक्षाओं में सफल रहा. जिंदगी की भी मैंने जंग जीता और नीट यूजी का भी.
मौलिक ने बताया कि मई 2022 में शरीर में बदलाव दिखने लगा. कमजोरी होने लगी. यूरिनेशन के समय दर्द तो हो ही रहा था, लेकिन उसके बुखार भी रहने लगा. मैं इन सब लक्षणों को हलके में ले रहा था. हॉस्टल में रहता था, इसलिए रूममेट ने परिवार को इस भी सूचना दे दी. डॉक्टरों को जब मैंने दिखाया, तो उसने सोनोग्राफी और अन्य जांच कराने का कहा.
वहीं जब जांच हुई तो मालुम हुआ कि यूरिनेशन ब्लैडर के पास एक ट्यूमर है, जो 10 सेंटीमीटर तक बढ़ चुका था. सीटी स्कैन और बायोप्सी कराने के बाद डॉक्टर ने बताया कि उसे सरकोमा है. जो कि एक तरह का वो कैंसर है. ये बता सुनते ही परिवार को झटका लगा, क्योंकि मैं सिंगल चाइल्ड हूं और इतनी कम उम्र में ये बीमारी हो गई.
मौलिक आगे बताते हैं कि कैंसर से संघर्ष पूरे दो साल तक चला. इस साल जब अप्रैल में डॉक्टरों ने उसे बताया कि उसे कैंसर है, तो मैंने एलन में टेस्ट देने की अनुमति देने के लिए बात की. इस दौरान में 12 वीं के एग्जाम में बैठा, जितने भी मेजर टेस्ट थे, वो भी नियमित ही दे रहा था. मैंने सबसे ज्यादा जो टेस्ट दिया, वो मॉक टेस्ट दिया. अब मैं केवीएम हॉस्पिटल मुंबई से एमबीबीएस करना चाहता हूं और मेरी ख्वाहिश है कि मैं ऑंकोलॉजिस्ट बनूं.
मेरी दूसरी सर्जरी होने के बाद भी मेरा पूरा ट्यूमर नहीं निकला. डॉक्टरों ने दूसरी सर्जरी करने के बाद जब सर्जरी किया, तो पता चला कि अब भी ट्यूमर 10 सेंटीमीटर है. इसको देखते हुए डॉक्टर ने ये फैसला लिया कि इतने बड़े ट्यूमर पर हम रेडिएशन नहीं दे सकते है, इसलिए उन्होंने कीमोथेरेपी का बोला. नवंबर के दूसरे सप्ताह में जब मेरा टेस्ट हुआ, तो पता चला कि ट्यूमर का साइज छोटा हो गया था.
दिसंबर 2023 तर मेरी दवाइयां बंद कर दी गई थी. इस पूरे इलाज के दौरान, मैं रोजाना ऑनलाइन पढ़ाई करता था. हॉस्पिटल में कई बार तीन से चार घंटे इंतजार करना पड़ता था, लेकिन ये सब होने के बाद भी मैं अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ता था.
डॉ बृजेश बृजेश माहेश्वरी, निदेशक, एलन करियर इंस्टीट्यूट ने बताया कि हम मौलिक के हौसले को सैल्यूट करते हैं. उसके परिवार वालों की हिम्मत की भी तारीफ है. हिम्मत करे तो हर काम संभव है. मौलिक देशभर के स्टूडेंट के लिए एक उदाहरण है, जो हम लोगों को लगातार जीतना सिखाता है. मौलिक को सफल होने पर बधाई.
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