आम्रपाली बिल्डर्स से फ्लैट खरीदने वालों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. आम्रपाली बिल्डर्स के अधूरे पड़े मकानों को अब सरकारी उपक्रम नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) पूरा करेगी ताकि होम बायर्स को जल्द से जल्द उनका घर मिल सके.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर्स से फ्लैट खरीदने वालों खरीददारों को बड़ी राहत दी है. आम्रपाली बिल्डर्स के अधूरे पड़े फ्लैट्स को अब सरकारी उपक्रम नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) बनाएगी. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद NBCC अब आम्रपाली के सभी प्रोजेक्ट्स को पूरा कर होम बायर्स को घर सौंपेगी. बताया जा रहा है कि इसके बदले एनबीसीसी को एस्क्रो अकाउंट से मिलने वाले प्रोजेक्ट फाइनेंस पर पूरा अधिकार मिलेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने एनबीसीसी को आम्रपाली के अधूरे फ्लैट के काम को पूरा करने को कहा है. शीर्ष अदालत ने अपने पुराने उस आदेश को वापस ले लिया है जिसमें तीन बिल्डर्स को को-डेवलपर बनाकर काम पूरा करने का आदेश दिया था. यह तीन बिल्डर्स थे, गैलेक्सी बिल्डर्स, कनौजिया बिल्डर्स और आईआईएफएल कंपनी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एनबीसीसी के चेयरमैन से कहा कि वह 30 दिन के भीतर सभी दस्तावेजों को स्टडी कर बताएं कि कितना वक्त और कितना पैसा खर्च होगा.
अदालत ने एनबीसीसी चेयरमैन से कहा कि दस्तावेजों के काम को 30 दिन में पूरा किया जाए क्योंकि जो लोग रह रहे हैं उनका जीवन खतरे में है. अदालत ने 17 मई के अपने फैसले को वापस लेते हुए तीनों को-डेवलपर्स को तत्काल प्रभाव से काम रोकने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि 2015 के बाद कंपनी का ऑडिट ही नहीं हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप के सभी अकाउंट को अगले आदेश तक के लिए फ्रीज कर दिया है.
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सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर से पूछा कि हम जानना चाहते हैं कि 2746 करोड़ रुपये कहां गए. यह पैसा होम बायर्स का था. वह लोग जानना चाहते हैं कि यह पैसा कैसे और किस तरह कहां गया अथवा इस्तेमाल किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य ऑडिटर को कहा कि 24 घंटे के भीतर कंपनी की फाइल आपके पास होगी. आपको बताना होगा कि फ्लैट खरीददारों की यह रकम आखिर कहां गई. इस दौरान शीर्ष अदालत ने आम्रपाली बिल्डर से पूछा कि उनकी कंपनियों के और कौन-कौन से ऑडिटर हैं, उन सभी के नाम कोर्ट को बताएं.
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सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर को कहा कि आप कह रहे हैं कि पैसा कहीं गया नहीं (कही दूसरी जगह डाइवर्ट नहीं किया गया) वो एक सम्पत्ति के रूप में है. हम यही जानना चाहते हैं कि पैसा कहां गया और वह किस सम्पत्ति के रूप में है. इस दौरान कोर्ट ने केंद्रीय शहरी विकास सचिव को फटकार लगाते हुए कहा कि हमारे आदेश के बावजूद आम्रपाली ग्रुप को क्यों बुलाया गया. यह हमारे आदेश की अवमानना है. आपने किस अधिकार से ऐसा किया. आपको यह अधिकार किसने दिया.
अदालत ने सचिव से पूछा कि क्या 18 जुलाई को हुई मीटिंग के वक्त तक आपको हमारे आदेश की जानकारी नहीं थी. इसके जवाब में सचिव ने कहा- नहीं. अदालत ने उनसे कहा कि क्या वह अखबार नहीं पढ़ते. उसमें सब छपा था. आप जो भी करें कोर्ट को बताकर करें. कोर्ट ने शहरी सचिव से कंक्रीट प्रोजेक्ट के बारे में पूछा. अदालत ने पूछा कि कंक्रीट प्रोजेक्ट में कितना समय लगेगा और इसमें कितना खर्च आएगा. इस मामले की अगली सुनवाई अब 4 सितंबर को होगी.
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