लखनऊ। अखाड़े से सियासत में आया नवाब सिंह यादव का 28 साल का राजनीतिक किला ध्वस्त हो गया। किशोरी से दुष्कर्म का मामला सामने आते ही कभी बेहद करीबी रहे डिंपल-अखिलेश ने भी नाता तोड़ लिया है। आलम ये है कि सपा इन्हें अपना सदस्य तक नहीं बता रहा। जेल में बंद नवाब सिंह यादव की रिहाई के लिए अभी तक किसी ने कोर्ट में जमानत अर्जी तक नहीं दी है।
अड़ंगापुर गांव के रहने वाले नवाब सिंह यादव ने वर्ष 1995 में डिग्री कॉलेज में कुश्ती प्रतियोगिताओं में जीत दर्ज कर पहचान बनाई। इसके बाद 1996 में इसी कॉलेज से छात्र संघ अध्यक्ष बना। अखाड़े में कुश्ती लड़ते समय उसके जांघ की हड्डी टूट गई, इसके बाद राजनीति में आ गया। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने अपने एक करीबी के घर पर मुलाकात की थी। वो इससे इतने प्रभावित हुए कि 1997 में समाजवादी लोहिया वाहिनी का जिलाध्यक्ष बना दिया। बाद में मुलायम सिंह यादव ने खुद निर्विरोध सदर ब्लॉक प्रमुख बना दिया। 2000 में अखिलेश यादव जब कन्नौज से चुनाव लड़ने के लिए उतने तो नवाब सिंह ने खूब मेहनत की। नतीजन अखिलेश जीत गए।
राज्य में मायावती की सरकार थी। नवाब सिंह यादव ने अपने साथियों के साथ सीएम का पुतला फूंका। इस दौरान पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया। घटना के बाद से अखिलेश अपने हर फैसले में नवाब सिंह यादव से सलाह लेने लगे। 2012 में जब अखिलेश सीएम बने तो नवाब को प्रदेश में लोग मिनी मुख्यमंत्री कहने लगे। 2012 में डिंपल यादव के निर्विरोध सांसद बनाने के पीछे भी नबाव सिंह का सियासी दिमाग था। नबाव सिंह यादव की तूती बोलती थी। सपा सरकार में कन्नौज स्थित गंगा नदी में बालू खनन से लेकर चंबल -बेतवा नदी में मौरंग खनन तक में नबाव सिंह की नबावी चलती थी। सब कुछ उसकी मर्जी से होता था।
अब रेप केस में फंसने के बाद बीजेपी ने चारों तरफ से घेर लिया है। इससे निकलना अब मुश्किल है। नवाब सिंह यादव दरिंदा निकला। उसने एक नाबालिग को लगातार नोचा- खसोटा। हालांकि यूपी की बेटी बहादुर निकली उसने नबाव की नवाबी में आखिरी कील ठोक दी। अब वह कही मुंह दिखाने लायक नहीं रहा। बच्ची को खूब डराया-धमकाया गया लेकिन वो टस से मस नहीं हुई। बच्ची ने परिजनों से लेकर पुलिस, अस्पताल और कोर्ट तक बहादुरी के साथ नबाव सिंह की काली करतूत के बारे में बताया।
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