नई दिल्ली: एमवीए में शामिल कांग्रेस के लिए अल्पसंख्यकों को लेकर तुष्टिकरण की राजनीति कोई नई बात नहीं है. अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता देने के लिए कांग्रेस हमेशा दूसरे वर्गों को कमजोर करने से बाज नहीं आई है. कर्नाटक में ओबीसी कोटे से अल्पसंख्यकों को आरक्षण देना इसका उदाहरण है. मुसलमानों के प्रति कांग्रेस का रवैया हर मामले में जरूरत से ज्यादा उदार रहा है. ऐसे में बीजेपी हमेशा आरोप लगाती रहती है कि कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता देने के साथ-साथ हिंदू समेत अन्य धर्मों को कमजोर करने का काम किया है.
देश के विभाजन के वक्त खिलाफत आंदोलन को प्राथमिकता देने वाली कांग्रेस ने हिंदुओं के खिलाफ रुख अपनाया और मुसलमानों को ज्यादा महत्व दिया था. महात्मा गांधी ने ये सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी ली थी कि पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान से भारत आने वाले हिंदू शरणार्थियों को मस्जिदों में शरण नहीं लेनी चाहिए, ऐसे उदाहरण भाजपा नेता देते हैं. आज़ादी के बाद जवाहरलाल नेहरू ने भी मुस्लिम हितों को अधिक प्राथमिकता दी. पूरा कश्मीर शेख अब्दुल्ला परिवार को सौंप दिया.
बीजेपी नेता दावा करते रहते हैं कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और शरीयत जैसे कानूनों को छूट दी गई है. कांग्रेस ने कभी भी तीन तलाक जैसी क्रूर प्रथा का विरोध नहीं किया। मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ते का अधिकार देने से मना करने में कांग्रेस आगे रही.
ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है. चर्चा चल रही है कि बदले में कांग्रेस ने उलेमा बोर्ड की 17 मांगों को पूरा करने का वादा किया है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने महाराष्ट्र के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को धैर्य रखने की सलाह दी है.
उलेमा बोर्ड ने कांग्रेस के महाराष्ट्र में सत्ता में आने पर महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड को 1,000 करोड़ रुपये का फंड देने की मांग की है. उलेमाओं की मांग के मुताबिक 2012-2024 के बीच हुए दंगों में शामिल सभी मुस्लिम बच्चों पर से केस वापस लिए जाएंगे
आरक्षण के लिए आंदोलन शुरू हो गया है. परंतु पुलिस भर्ती में मुस्लिम बच्चों को तरजीह देने की मांग की गई है. कांग्रेस सरकार महाराष्ट्र में सत्ता में आई तो सरकारी कमेटी में ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के मुफ्ती, मौलाना, इमाम, तालीम और हाफिज को भी शामिल करने की मांग की जा रही है.
कांग्रेस से संघ पर रोक लगाने की मांग
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रवादी विचारधारा वाला संगठन है. देश में कहीं भी प्राकृतिक आपदा आती है तो संघ के स्वयंसेवक मौके पर पहुंचते हैं.संघ के स्वयंसेवक पूरे देश में समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं. वहीं, कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने पर आरएसएस और अन्य हिंदूवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का आश्वासन मांगा गया है.
मुफ्ती इमाम के लिए मासिक वेतन
मौजूदा समय में देश में बेरोजगारी की समस्या चरम पर है. जिसका असर सभी वर्ग पर पड़ रहा है. हर जाति और धर्म के युवा सरकारी नौकरी चाहते है. ऐसे में महराष्ट्र की सत्ता में कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी की सरकार आती है. तब महाराष्ट्र में मस्जिदों के मुफ्तीयों और इमाम को पंद्रह हजार रुपये मासिक वेतन देने का आश्वासन मांगा गया है. कांग्रेस पार्टी से इस तरह की अपेक्षा इस बात का साफ सकेंत दे रही है कि कांग्रेस पार्टी तुष्टीकरण की राजनीति को बढ़ावा देती रही है.
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