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मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह रेप केसः सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को लगाई फटकार, पूछा- क्यों दे रहे थे NGO को फंड?

Muzaffarpur shelter home rape case: मुजफ्फरपुर के बालिका आश्रय गृह में बच्चियों से रेप के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिहार सरकार को फटकार लगाई. शीर्ष अदालत ने सरकार से पूछा कि वह इतने वर्षों से मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ को क्यों फंड दे रहे थे.

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Muzaffarpur shelter home rape case Supreme court Bihar govt
  • August 7, 2018 2:04 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्लीः मुजफ्फरपुर के बालिका आश्रय गृह में नाबालिग बच्चियों के साथ रेप के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को शेल्टर होम का संचालन करने वाले एनजीओ को फंड देने पर फटकार लगाई. शीर्ष अदालत ने कहा कि पिछले कई वर्षों से बिहार सरकार एनजीओ को फंड देती रही लेकिन उसे यह नहीं पता कि यह फंड वह क्यों दे रहे हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फंड जारी करने से पहले सरकार को एनजीओ की जांच-पड़ताल करनी चाहिए. एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे बालिका आश्रय गृह का सरकार को निरीक्षण करना चाहिए था. कोर्ट को जवाब देते हुए बिहार सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार वक्त-वक्त पर सोशल ऑडिट करती है. कुछ बुरे अफसर भी होते हैं. सरकार के इस बयान पर कोर्ट ने कहा कि तो क्या सरकार ने उन बुरे अफसरों के खिलाफ शिकायत की?

अदालत में जवाब देते हुए बिहार सरकार की ओर से कहा गया कि इस केस में आरोपियों के खिलाफ आपराधिक मामला तो चल ही रहा है, साथ ही पटना हाईकोर्ट की निगरानी में इसकी जांच भी हो रही है. सरकार खुद भी इसे मॉनिटर कर रही है. राज्य सरकार ने कहा कि इसका एक सामाजिक पहलू भी है कि जैसे काउंसिलिंग कैसे हो. मुआवजा और पुनर्वास कैसे हो. हलफनामा दाखिल करने के लिए अदालत राज्य सरकार को एक हफ्ते का समय दे.

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मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर भी सवाल उठाए. अदालत ने कहा कि देशभर में हो रहीं इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र सरकार क्या योजना बना रही है. इस दौरान शीर्ष अदालत ने यूपी के देवरिया स्थित शेल्टर होम में भी मासूम बच्चियों के साथ खेले गए हैवानियत के खेल का जिक्र करते हुए कहा कि पहले बिहार तो कल यूपी में ऐसी ही घटना सामने आई है. आपके पास भविष्य के लिए क्या योजना है. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि यूपी के देवरिया में हुई घटना के दौरान पीड़ित बच्चों की कोई भी फोटो किसी भी प्रकार से इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया पर न दिखाई जाए.

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सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि आश्रय गृह चला रहे सभी एनजीओ की हर दिन मॉनिटरिंग हो. साथ ही मुजफ्फरपुर जैसी वारदातों को रोकने के लिए सभी शेल्टर होम्स में सीसीटीवी लगाए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली महिला आयोग को पक्ष बनाने से इनकार किया. कोर्ट ने कहा कि इस केस में राजनीति न करें, इसे राजनीति से दूर रखें. हमें चिंता है कि बच्चियों की सुरक्षा कैसे की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को एक आरोपी की पत्नी को गिरफ्तार करने को कहा, जिसने सोशल मीडिया अकाउंट पर पीड़ितों के नाम दिए थे.

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बताते चलें कि मुजफ्फरपुर के बालिका आश्रय गृह में मासूम बच्चियों से रेप की वारदात के खुलासे के बाद राज्य ही नहीं बल्कि देश में हड़कंप मच गया था. आश्रय गृह में रहने वाली 42 में से 42 बच्चियों के साथ रेप की पुष्टि होने के बाद नीतीश सरकार पर सवालिया निशान उठने लगे. विपक्ष के हंगामे के बाद राज्य सरकार ने इसकी जांच सीबीआई से कराने का फैसला किया. बीते रविवार बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने राजनीति में कभी समझौता नहीं किया है. दोषी जल्द सलाखों के पीछे होंगे.

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