मसूरी में कपड़ों का व्यापार कर रहे कश्मीरियों पर मसूरी के लोकल कपड़ा व्यापारियों ने आपत्ति जताई है. वे चाहते हैं कि ये कश्मीरी मसूरी छोड़ दें. मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन का कहना है कि हमें पुराने कश्मीरी व्यापारियों से कोई समस्या नहीं है कि पिछले 50 सालों से शहर में रह रहे हैं.
मसूरीः उत्तराखंड के मसूरी के लोकल व्यापारी संगठन ने वहां कपड़े का व्यापार कर रहे कश्मीरी व्यापारियों पर आपत्ति जताई है. मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर का का कहना है कि ज्यादातर दुकानें 11 महीने के अनुबंध पर हैं जो कि 28 फरवरी को खत्म हो रहा है जिसके बाद उन्होंने कश्मीरियों के मसूरी छोड़ने की बात कही.
संगठन प्रमुख रजत अग्रवाल का कहना है कि हालांकि कश्मीरियों को लिखित में नोटिस नहीं दिया गया है, उन्हें केवल मौखिक रूप से आखिरी तारीख बताई गई है. उन्होंने कहा कि इससे हमारा सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का कोई इरादा नहीं है. मसूरी के लोकल व्यापारी चाहते हैं कि कश्मीर से आए व्यापारी मसूरी छोड़ दें. कश्मीरी व्यापारी मदद के लिए हाल ही में मसूरी से बीजेपी विधायक गणेश जोशी से मिले.
अग्रवाल का कहना है कि ये फैसला मसूरी में आए 18 नए कश्मीरी व्यापारियों के लिए है जो कि यहां किराए पर दुकान लेकर शॉल, लेडीज सूटों का व्यापार करते हैं. उन्होंने बताया कि ये पिछले दो साल में बढ़ गया है. मसूरी जैसे छोटे शहर में 18 नए कश्मीरी व्यापारी बड़ा नंबर है. उन्होंने बताया कि सोमवार यानी 26 फरवरी को हमनें कश्मीरियों को किराए पर दुकान देने वालों की बैठक बुलाई है जहां इस मुद्दे पर बातचीत की जाएगी.
अग्रवाला का कहना है कि जो कश्मीरी पिछले कई साल से मसूरी में व्यापार कर रहे हैं हमें उनसे कोई आपत्ति नहीं है. वह शहर का हिस्सा बन चुके हैं. उन्होंने कभी कुछ ऐसा नहीं किया जिससे सांप्रदायिकता को छति पहुंचे. हमें उनसे कोई दिक्कत नहीं है. लोकल व्यापारी केवल उन व्यापारियों को बाहर चाहते हैं जो नए हैं.
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