भोपाल: मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित मैहर का मां शारदा मंदिर भक्तों के लिए आस्था और रहस्यों का संगम माना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है कि रोजाना ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर खुलने से पहले ही माता की आरती हो चुकी होती है। पुजारियों के अनुसार, जब वे सुबह मंदिर के कपाट खोलते हैं, तो वहां पहले से ही पूजा हुई मिलती है और देवी मां को फूल चढ़े होते हैं। इस अद्भुत रहस्य के पीछे माता के परम भक्त आल्हा का नाम लिया जाता है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे आज भी माता की आराधना करने आते हैं।
ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यता
मैहर का यह शक्तिपीठ त्रिकूट पर्वत पर स्थित है और इसकी ऊंचाई करीब 600 फीट है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 1065 सीढ़िया चढ़नी पड़ती हैं। मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने सती माता के शरीर के टुकड़े किए, तो उनके आभूषण यहां गिरे, जिसके चलते इस स्थान का नाम “मैहर” पड़ा, जिसका अर्थ है “मां का हार”।
कौन है माता का परम भक्त
स्थानीय लोगों का कहना है कि रात की आरती के बाद जब मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं, तब भी अंदर से पूजा-अर्चना और घंटियों की आवाजें आती हैं। जब सुबह मंदिर के द्वार खुलते हैं, तो देवी मां को पहले से ही फूल अर्पित होते हैं। इस रहस्य को समझने के लिए वैज्ञानिक भी यहां आए, लेकिन कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल पाया।
ऐसा माना जाता है कि बुंदेलखंड के वीर योद्धा आल्हा और ऊदल, जो परमार वंश के राजा के सेनापति थे, मां शारदा के परम भक्त थे। उन्होंने पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ वीरतापूर्वक युद्ध लड़ा, लेकिन अपने गुरु गोरखनाथ के आदेश पर संन्यास ले लिया। कहा जाता है कि आल्हा अमर हैं और वे आज भी मां शारदा की पहली आरती करने आते हैं।
आल्हा तालाब का रहस्य
मंदिर के पास स्थित आल्हा तालाब से भी कई रहस्यमयी घटनाएं जुड़ी हैं। स्थानीय पुजारियों का कहना है कि हर सुबह ऐसा लगता है जैसे कोई व्यक्ति इस तालाब में स्नान कर घोड़े पर सवार होकर मंदिर की ओर जा रहा है। यहां के कमल के फूल कभी-कभी देवी के दरबार में अपने आप मिल जाते हैं, जिसे लोग आल्हा की भक्ति का प्रमाण मानते हैं। मैहर का यह मंदिर भक्तों की आस्था और चमत्कारी घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं।
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