नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस को इस्तीफे के बाद कमलनाथ सरकार संकट में है. दरअसल सिंधिया के साथ कांग्रेस के 22 विधायक-मंत्रियों ने अलविदा कह दिया. इससे मौजूदा सरकार अल्पमत में आ गई और भारतीय जनता पार्टी की सत्ता में वापसी की उम्मीद भी बढ़ गई. क्योंकि 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा की कुल संख्या 228 से घटकर 206 रह गई जिस वजह से बहुमत का आंकड़ा 104 हो गया.
अब कांग्रेस के पास पूरी संख्या बेशक न हो लेकिन बीजेपी अपने 106 विधायकों के साथ सरकार बनाने का दावा ठोक चुकी है. इससे पहले ऐसा ही नजारा कर्नाटक की राजनीति में देखने को मिला था जिसके बाद अब मध्य प्रदेश और सियासी अफवाहों की मानें तो हालत राजस्थान की भी कुछ ऐसी ही है साहब. कैसे आइए जानते हैं ?
चुनाव में जीत के बाद राजस्थान का सीएम बनना चाहते थे डिप्टी सीएम सचिन पायलट
साल 2018 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल की. उस समय माना जा रहा था कि कमलनाथ और अशोक गहलोत की उम्र देखते हुए मध्य प्रदेश और राजस्थान की गद्दी युवा हाथों में यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट के हाथों में सौंपी जाएगी. लेकिन तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और कमलनाथ के तजुर्बे को आगे रखते हुए दोनों राज्य की कमान सौंपी.
उस दौरान सिंधिया डिप्टी सीएम पद पर नहीं मानें लेकिन पार्टी सचिन पायलट को मनाने में कामयाब रही. और राजस्थान में सचिन पायलट ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली. हालांकि, इसके बाद गहलोत और पायलट के बीच खटास की खबरें आती रहीं. जब कोटा के अस्पतालों में बच्चों की मौत हुई तो सचिन पायलट अपनी ही सरकार पर हावी भी रहे थे.
हमेशा कहा जाता रहा कि सचिन पायलट के मन में सीएम न बन पाने की कसक है जो वे खुलकर नहीं कह पाते हैं. ऐसी ही कसक मध्य प्रदेश में सिंधिया के मन में भी बताई जाती थी. सिंधिया से कांग्रेस से इस्तीफा देकर इस बात की पुष्टि भी कर दी.
अब जब सिंधिया इस्तीफा दे चुके हैं तो सियासी गलियारों में सचिन पायलट की गहलोत से नाराजगी चर्चा में है. कहीं ऐसा न हो कि सचिन पायलट भी सिंधिया की राह पकड़कर भाजपा का दामन थामने की तैयारी कर लें. हालांकि, अभी तक किसी भी नेता का कोई आधिकारिक बयान इस मामले में नहीं आया है और फिलहाल राजस्थान में कांग्रेस सरकार पूर्ण बहुमत के साथ बनी हुई है.
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