भोपाल. इन दिनों फिल्म पैडमैन के चलते मासिक धर्म पर काफी चर्चाएं हो रही हैं. फिल्म की मदद से लोगों को इसके लिए जागरुक करने में जुटे अक्षय कुमार को पैडमैन के नाम से पहचाना जाने लगा है. वहीं मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में माया विश्वकर्मा नाम की एक महिला को ‘पैड जीजी’ के नाम से जाना जा रहा है. इसकी वजह है कि इस महिला ने आदिवासी महिलाओं को मासिक धर्म में साफ सफाई के मद्देनजर प्रयोग किए जाने वाले पैड के लिए जागरुक किया. मध्यप्रदेश के इस क्षेत्र में महिलाएं इस विषय पर बातचीत से हमेशा से कतराती रही हैं.
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में बतौर रिसर्चर काम कर चुकी माया ने भारत लौटकर अपने पैत्रिक गांव देदवाड़ा में सैनेटरी पैड का उत्पादन शुरु किया जहां सिर्फ महिलाओं को ही काम पर रखा गया. पिछले 1 महीने से यहां एक माह में 1000 पैड बनाए जा रहे हैं. इसे बनाने में 20 रुपये प्रति पैड की लागत लग रही है. पैड जीजी बताया कि हम लागत को कम कर उत्पादन को बढ़ाने की ओर प्रयास कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि वे सैनेटरी पैड बनाने के अलावा महिलाओं को रोजगार दिए जाने का भी खास ख्याल रख रही हैं.
माया ने पैड बनाने की मशीन के लिए अपनी निजी सेविंग और आम लोगों से चंदे की मदद ली. पूरे इंतजाम में कुल 5 लाख रुपये लगे. बता दें कि अभिनेता अक्षय कुमार इन दिनों कोयंबटूर के अरुणाचलम मुरुगुलम नाम के एक ऐसे व्यक्ति पर फिल्म रिलीज करने जा रहे हैं जिसने अपनी पत्नी की मासिक धर्म की पीड़ा को समझकर ग्रामीण महिलाओं को सस्ते सैनेटरी पैड देने की शुरुआत की थी.
अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन को नहीं देखा तो होगा अफसोस, ये 5 कारण फिल्म को बनाएंगे ब्लॉकबस्टर
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