गांधीनगर: गुजरात के मोरबी जिले में रविवार शाम को दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। मोरबी के मच्छु नदी पर बने 143 साल पुराने ऐतिहासिक पुल के गिर जाने से करीब 134 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं कई लोग घायल हुए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, पुल पर उस वक्त सैकड़ों लोग मौजूद थे और अचानक ये पुल टूट गया। अब सवाल ये उठता है कि हाल ही में रिनोवेशन से गुजरे 145 साल पुराने पुल में ऐसा क्या हुआ कि वह इस तरह से टूट गया। हालांकि, जानकार तकनीकी रूप से इसकी तीन वजह सामने आई है, जिनकी जांच की जानी है। इन सबके तीन वजह सामने आ रही हैं वो है – गलत प्रबंधन, भीड़, ‘सर्विस लाइफ।
आपको बता दें सस्पेंशन ब्रिज में टॉवर, केबल, गर्डर्स, केबल के लंगर इत्यादि चीजें शामिल होती है। जानकार कहते हैं कि अगर भीड़ ब्रिज पर चल रही है, तो इसके गिरने या टूटने की संभावना नहीं होती है। हालांकि, अगर भीड़ पुल पर रुक जाती है तो केबल पर तनाव बढ़ता है। ऐसे में क्षमता से ज्यादा लोड हो जाता है, जिस कारण पुल टूट जाएगा।
इस मामले को लेकर कहा जा रहा है कि अगर अथॉरिटी की तरफ से प्रबंधन का काम सही तरीके से होता तो घटना को रोका जा सकता था। साथ ही यहां साइन बोर्ड लगाना और एक निगरानी दल तैयार करना भी आवश्यक था। जो ध्यान रखता कि पुल पर क्षमता से ज्यादा भीड़ एकत्रित न हो। एक रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘इसे देख ऐसा लग रहा है कि परिचालन के स्तर पर गलती थी, क्योंकि भीड़ को ठीक से मैनेज नहीं किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, एजेंसियों को जांच में मालूम हुआ है कि भीड़ और इससे होने वाले कंपन की जांच नहीं हुई थी। हादसे के वक्त पुल पर क्षमता से अधिक लोग थे। वहीं कुछ लोग पुल को हिलाते हुए भी नजर आए थे।हालांकि पुल गिरने के असली वजह सामने नहीं आई है।
इसका अर्थ पुल के जीवन से है। तीसरा कारण सर्विस लाइफ ही है। सर्विस लाइफ का मतलब है कि वह कितने समय तक बगैर किसी दिक्कत के अपनी पूरी क्षमता के साथ भीड़ का बोझ उठा सकता है। जानकार बताते हैं कि कुछ समय के बाद पुल का स्ट्रक्चर की स्थिति कुछ ऐसी हो जाती है कि उसे और ज्यादा नहीं खींचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि अगर ऐसे में लोड को कम भी कर दिया जाए, तो भी वह ढह जाएगा। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एक पुल अपनी सर्विस लाइफ के बाद भी काम कर सकता है लेकिन उसके लिए भी पुनर्वास या पुनर्निमाण जरूरी है।
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