प्रयागराज. विश्व हिंदू परिषद के धर्मसंसद में आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने गुरुवार को सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अपनी राय रखी. प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में आरएसएस चीफ ने कहा, उसकी अपनी परंपरा रहती है, लेकिन देशभर के करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान इससे आहत होगा, ये विचार कोर्ट ने नहीं किया.
भागवत ने कहा, कोर्ट का कहना है कि महिला अगर प्रवेश चाहती है तो करने दिया जाए. अगर किसी को रोका जाता है तो उसको सुरक्षा देकर जहां से सब दर्शन करते हैं, वहां से ले जाना चाहिए. लेकिन कोई जाना नहीं चाह रहा है इसलिए श्रीलंका से लाकर, पीछे के दरवाजे से घुसाया जा रहा है. भागवत ने कहा कि राजनीतिक फायदों के लिए समाज को तोड़ने की कोशिशें हो रही हैं. हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत है. समाज अनुभवहीन है, उसे शिक्षित करने की जरूरत है.
भारतीय समाज को तोड़ने की कोशिश वर्षों से हो रही है. अगर हिंदू एकजुट रहते हैं तो कोई ताकत उन्हें नहीं तोड़ सकती. भागवत ने बयान में कहा, ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि मलयालम भाषी आबादी सबरीमाला में औरतों के घुसने का विरोध कर रही है और बाकी देश को उससे कोई लेना-देना नहीं है. यह सच नहीं है. पूरा हिंदू समाज इससे लड़ रहा है. गौरतलब है कि वीएचपी की धर्मसंसद 31 जनवरी से 1 फरवरी तक चलेगी. इसमें 5 हजार संत शामिल हुए हैं. धर्म संसद में राम मंदिर बनाने का प्रस्ताव रखा जाएगा.
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