जयपूर: रैगिंग शब्द का नाम सुनते ही की कई बच्चे डर जाते हैं. कई तो कॉलेज जाना ही नहीं चाहते हैं. वहीं इस बार भी इसी तरह का मामला सामने आया है. जहां उदयपुर संभाग के डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज का है. जहां एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की छात्र के साथ रैगिंग की गई. रैगिंग भी ऐसी […]
जयपूर: रैगिंग शब्द का नाम सुनते ही की कई बच्चे डर जाते हैं. कई तो कॉलेज जाना ही नहीं चाहते हैं. वहीं इस बार भी इसी तरह का मामला सामने आया है. जहां उदयपुर संभाग के डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज का है. जहां एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की छात्र के साथ रैगिंग की गई. रैगिंग भी ऐसी की गई की, उसे हॉस्पिटल में एडमिट कराना पड़ा.
अब आप सोच रहे होंगे कि, आखिर उस छात्र से क्या कराया गया होगा, जो हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा. तो बता दें कि उस छात्र से 300 बार उठक बैठक कराया गया है, जिस वजह से उनकी किडनी और लीवर पर असर आ गया.
जब इस मामले की जानकारी कॉलेज प्रबंधन तक पहुंचा, तो उन्होंने एक्शन लिया. डूंगरपुर के सदर थानाधिकारी गिरधारी सिंह ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल एस मरगुनवेलू ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई.
यह मामला करीब एक माह पहले का है. उन्होंने रिपोर्ट में बताया कि, जिस लड़के का तबियत खराब हुआ, उसे सेकंड ईयर के 7 छात्रों ने पहले साल के छात्र को कॉलेज के पास पहाड़ी पर बुलाया था. वहां उसे बुलाकर काफी परेशान किया और फिर उसकी रैगिंग की. रैगिंग में सीनियर छात्रों ने पीड़ित छात्र से 300 बार उठक बैठक करावाया.
वहीं ऐसा करने पर छात्र की तबियत बिगड़ने लगी, फिर उसे डूंगरपुर हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया. यहां इलाज में आराम नहीं मिलने पर उसे गुजरात ले गए. वहां जांच जब की गई, तो पता चला कि, उसकी किडनी और लीवर में दिक्कत दिखी, तो डॉक्टर ने उसका डायलिसिस किया. थाने में प्रिंसिपल की रिपोर्ट पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
इस मामले को लेकर कॉलेज प्रबंध ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कर ली है, लेकिन रैगिंग लेने वाले 7 छात्रों को सस्पेंड कर दिया गया हैं. वहीं जो मुकदमा 7 छात्रों के खिलाफ दर्ज कराया गया था, पुलिस उसकी जांच करनी शुरू कर दी है.
बता दें कि डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज की स्थापना साल 2018 में की गई थी. इसके बाद से ही यहां ऐडमिशन लेने के लिए लगातार छात्रों की भीड़ लगी रहती हैं.