सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी एक्ट में बदलाव का विरोध कर रहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार के दौरान खुद इस कानून में संशोधन किया था. बसपा सरकार द्वारा जारी आदेश की दो कॉपियां सामने आने के बाद मायावती खुद घिरती नजर आ रही हैं. बीजेपी उन पर हमलावर हो गई है. गौर करने वाली बात यह है कि बसपा सरकार द्वारा यह संशोधित कानून यूपी में आज भी लागू है. बता दें कि बीते सोमवार दलित संगठनों ने एक्ट में बदलाव के विरोध में भारत बंद बुलाया था. इस दौरान हुई हिंसक घटनाओं में 10 लोगों की मौत हो गई.
लखनऊः एससी-एसटी एक्ट को लेकर देश में घमासान छिड़ा हुआ है. तमाम पार्टियां और सरकार इस एक्ट को लेकर दलित समुदाय का समर्थन करने की बात कह रही हैं. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती भी खुद दलित संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद का समर्थन कर चुकी हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में जब मायावती सत्ता में थीं तो उनकी सरकार ने राज्य में न सिर्फ इस एक्ट को संशोधित किया बल्कि इस कानून को हल्का भी कर दिया था. मायावती सरकार द्वारा यह संशोधित कानून यूपी में आज भी लागू है. यानी राज्य में एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज होने पर सीधे गिरफ्तारी नहीं होती.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बसपा सरकार में जारी किए गए दो आदेशों में कहा गया था कि बेकसूर लोगों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग किया जा रहा है. दरअसल 20 मई, 2007 को तत्कालीन मुख्य सचिव प्रशांत कुमार मिश्र ने एक सरकारी आदेश जारी कर इस एक्ट में कुछ बड़े बदलाव किए थे, जिसके तहत हत्या और बलात्कार जैसे मामलों में इस एक्ट को लगाने से पहले एसपी या एसएसपी स्तर के अधिकारी को आरोपों की जांच करनी होती है.
एक्ट में धारा-182 का जिक्र करते हुए यह आदेश पारित किया गया कि अगर कोई इसका दुरुपयोग करेगा तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी. आदेश के मुताबिक, एससी-एसटी एक्ट में गिरफ्तारी तभी होगी, जब सीओ स्तर का अधिकारी FIR में दर्ज आरोपों को सही पाएगा. सरकार की ओर से जारी आदेश में साफ लिखा है कि किसी भी निर्दोष को इस एक्ट के तहत न ही परेशान किया जाना चाहिए और न ही फंसाया जाना चाहिए.
मायावती सरकार के इस आदेश की कॉपी सामने आते ही बीजेपी एक बार फिर मायावती पर हमलावर हो गई है. प्रदेश बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि खुद को दलितों का हितैषी बताने वाली मायावती ने खुद सुप्रीम कोर्ट से पहले दलित और आदिवासी समुदाय के लिए बनाए गए इस कानून को हल्का कर दिया. बता दें कि बीते सोमवार दलित संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के दौरान उत्तर भारत के कई राज्यों में हिंसक घटनाएं हुई थीं. इन घटनाओं में 10 लोग मारे गए जबकि दर्जनों घायल हुए.
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