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महाराष्ट्र में फिर गूंजी मराठा आरक्षण की मांग, क्या ’19 से 2019 तक’ आंदोलन बढ़ाएगा BJP की मुश्किलें?

मुंबईः गुजरात में पाटीदारों के आरक्षण आंदोलन से प्रेरित मराठा समुदाय ने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने की तैयारी कर ली है. मराठा समुदाय ने आरक्षण की मांग करते हुए राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू करने की तारीख का ऐलान कर दिया है. मराठा समुदाय के प्रतिनिधियों ने बताया कि वह अगले साल 19 फरवरी यानी वीर मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी की जयंती से अपने आरक्षण आंदोलन की शुरूआत करेंगे. यानी गुजरात के बाद अब महाराष्ट्र में बीजेपी के सामने मुश्किलें खड़ी होने वाली हैं.

मराठा समुदाय के प्रतिनिधियों ने साफ कर दिया है कि जिस तरह से गुजरात में पाटीदारों ने आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन किया था, ठीक उसी तरह वह भी महाराष्ट्र में अपने हक के लिए आंदोलन करेंगे. मराठा मसुदाय की मानें तो राज्य सरकार ने उनके साथ छल किया है. राज्य सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है, जिसका उन्हें साल 2019 में होने वाले विधानसभा चुनाव में खामियाजा उठाना पड़ेगा. मराठा मसुदाय की ओर से सोमवार को राष्ट्रीय स्तर पर मुंबई के पनवेल में एक बैठक बुलाई गई थी.

बैठक में उन्होंने अपने आगामी आंदोलन को ’19 से 2019 तक’ नाम दिया. इस नाम से उनका मतलब मराठा वीर शिवाजी की जयंती से लेकर 2019 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव से है. मराठा प्रतिनिधियों ने बताया कि राज्य सरकार ने उनसे आरक्षण के मुद्दे पर किए वादे को अभी तक पूरा नहीं किया है. बता दें कि मराठा समाज शिक्षा और सरकारी नौकरी में 16 फीसदी आरक्षण की मांग कर रहा है. पिछले डेढ़ साल से राज्य में जगह-जगह आरक्षण की मांग को लेकर लगातार आंदोलन हो रहे हैं.

मराठा प्रतिनिधि वीरेंद्र पवार ने कहा कि अगर 10 फरवरी तक राज्य सरकार ने उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो वह लोग अलग-अलग तरीके से आंदोलन की राह पकड़ने को मजबूर हो जाएंगे. पवार ने कहा कि पाटीदारों ने विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अपनी ताकत का एहसास कराया और हम ऐसे ही राज्य सरकार को अपनी शक्ति का एहसास दिला देंगे. अपनी बात रखते हुए पवार ने आगे कहा कि पीएम मोदी द्वारा फाइनेंशियल बैकवॉर्ड डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन का उद्घाटन हुए एक साल पूरा होने जा रहा है लेकिन अभी तक मराठा समुदाय के लिए एक भी हॉस्टल अप्रूव नहीं हुआ है.

गौरतलब है कि चुनाव के पहले अगर महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण और धनगर आरक्षण (महाराष्ट्र में चल रहे दूसरे समुदाय द्वारा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन) के मुद्दे को अंजाम तक नही पहुंचाया, तो राज्य सरकार के लिए 2019 में सूबे की सत्ता बचा पाना टेढ़ी खीर साबित होगा. नारायण राणे कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में 32% मराठा समाज है, जिसके बाद ओबीसी समाज का नंबर आता है. लेकिन धनगर समाज आबादी 4% के करीब है, जो कई सीटों पर परिणाम बदलने की ताकत रखता है.

 

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Aanchal Pandey

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