देवेंद्र फडणवीस सरकार में हसन मुश्रीफ इकलौते मुस्लिम मंत्री हैं। 70 वर्षीय मुश्रीफ कागल सीट से विधानसभा का चुनाव जीते हैं।
मुंबई। महाराष्ट्र में रविवार-15 दिसंबर को देवेंद्र फडणवीस सरकार के कैबिनेट का विस्तार हो गया। नागपुर के विधान भवन में 39 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली, जिसमें 33 कैबिनेट और 6 राज्य मंत्री शामिल हैं। मुख्यमंत्री और दोनों उप-मुख्यमंत्री को मिला दें तो अब कुल मंत्रियों की संख्या 42 हो गई है। बता दें कि महाराष्ट्र कैबिनेट में कुल 43 मंत्री हो सकते हैं। एक सीट अभी खाली रखी गई है।
बता दें कि देवेंद्र फडणवीस सरकार में हसन मुश्रीफ इकलौते मुस्लिम मंत्री हैं। 70 वर्षीय मुश्रीफ कागल सीट से विधानसभा का चुनाव जीते हैं। वह छठवीं बार के विधायक हैं, इससे पहले वह शिंदे सरकार में शिक्षा मंत्री रह चुके हैं।
इस बीच खबर है कि नई सरकार में शामिल हुए सभी मंत्रियों का कार्यकाल ढाई साल का होगा। यानी ढाई साल के बाद पूरी कैबिनेट बदल जाएगी और नए विधायक मंत्री पद की शपथ लेंगे। बताया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने अपने मंत्रियों को इसकी जानकारी दे दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स में जो दावा किया जा रहा है, उसके मुताबिक बड़े मलाईदार मंत्रालय बीजेपी और अजित पवार वाली एनसीपी को मिलेंगे। वहीं, एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना को सिर्फ झुनझुना पकड़ाया जाएगा।
बताया जा रहा है कि बीजेपी गृह, राजस्व, हायर एजुकेशन, कानून, ऊर्जा, ग्रामीण विकास विभाग अपने पास रखेगी। वहीं, अजित की पार्टी को वित्त, योजना, सहयोग, कृषि जैसे महत्वपूर्ण विभाग मिलेंगे। शिवसेना (शिंदे गुट) को हेल्थ, शहरी विकास, सार्वजनिक कार्य, उद्योग विभाग दिया जाएगा।
इस बीच खबरें हैं कि मंत्रालय के बंटवारे को लेकर एकनाथ शिंदे खेमे में नाराजगी देखी जा रही है। शिंदे खेमे के नेताओं का मानना है कि उन्हें गठबंधन में हल्के में लिया जा रहा है। मालूम हो कि इससे पहले 2022 से 2024 तक महाराष्ट्र में जो महायुति की सरकार थी उसमें शिवसेना (शिंदे गुट) केंद्रीय भूमिका में थी। पार्टी सुप्रीमो एकनाथ शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री थे, वहीं कई प्रमुख मंत्रालय पार्टी के नेताओं के पास थे।
इसके बाद जब 2024 में फिर से महाराष्ट्र सत्ता में आती है तब बीजेपी ने अपना मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया और एकनाथ शिंदे को उप-मुख्यमंत्री पद दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिंदे खेमा इस बार गृह मंत्रालय मांग रहा था लेकिन बीजेपी ने उनकी मांग को अनसुना कर दिया।
बीजेपी- 132 सीट
शिवसेना (शिंदे गुट)- 57 सीट
एनसीपी (अजित)- 41 सीट
शिवसेना (उद्धव)- 20 सीट
कांग्रेस- 16 सीट
एनसीपी (शरद गुट)- 10 सीट
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