दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को समर्थन देने को लेकर शिवसेना-यूबीटी सांसद अनिल देसाई ने जो कहा, उससे दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक सियासत गरमा गई है. सवाल उठ रहे हैं कि अगर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की पार्टी महाविकास अघाड़ी का हिस्सा है तो वह दिल्ली में कांग्रेस को समर्थन देने के बजाय आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की बात क्यों कर रही है.
मुंबई: दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को समर्थन देने को लेकर शिवसेना-यूबीटी सांसद अनिल देसाई ने जो कहा, उससे दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक सियासत गरमा गई है. सवाल उठ रहे हैं कि अगर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की पार्टी महाविकास अघाड़ी का हिस्सा है तो वह दिल्ली में कांग्रेस को समर्थन देने के बजाय आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की बात क्यों कर रही है. इससे शिवसेना-यूबीटी और कांग्रेस के रिश्तों पर सवाल उठ रहे हैं.
सवाल उठ रहे हैं कि अगर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की पार्टी महाविकास अघाड़ी का हिस्सा है तो वह दिल्ली में कांग्रेस को समर्थन देने के बजाय आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की बात क्यों कर रही है. इससे शिवसेना-यूबीटी और कांग्रेस के रिश्तों पर सवाल उठ रहे हैं. सालों से मुंबई नगर निगम पर शिवसेना का कब्जा है, लेकिन अब जब दोबारा बीएमसी चुनाव होने जा रहे हैं और इस बार शिवसेना दो हिस्सों में बंट गई है. ऐसे में विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखते हुए उद्धव ठाकरे की शिवसेना को लगता है कि अगर वह महाविकास अघाड़ी के साथ चुनाव लड़ेगी तो उसे नुकसान हो सकता है.
कांग्रेस के साथ रहने से उन्हें भी नुकसान होगा, इसलिए वह अपनी जमीन तैयार कर रही हैं और दिल्ली से कांग्रेस से अलग होने के संकेत भी दे चुकी हैं. आज दिल्ली में केजरीवाल ने भी शिवसेना-यूबीटी के समर्थन का स्वागत किया, वहीं मुंबई में संजय राउत समेत आदित्य ठाकरे ने भी केजरीवाल के काम की सराहना की.
आज दिल्ली में केजरीवाल ने भी शिवसेना-यूबीटी के समर्थन का स्वागत किया, वहीं मुंबई में संजय राउत समेत आदित्य ठाकरे ने भी केजरीवाल के काम की सराहना की. बढ़ते तनाव के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चौहान के इस बयान ने आग में घी डालने का काम किया है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी ही जीतेगी.
आदित्य ठाकरे ने भी कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चौहान के बयान का समर्थन किया है और कहा है कि उनकी बात बिल्कुल सही है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी मजबूत है. जानकारों के मुताबिक, इस समय शिवसेना-यूबीटी के लिए सबसे बड़ी चुनौती नगर निगम चुनाव है और वे इसकी तैयारी में पूरी तरह से जुटे हुए हैं। देश की सबसे अमीर नगर निगम पर उनका वर्षों से कब्जा है और वह इसे छोड़ना नहीं चाहतीं। भले ही इसके लिए उन्हें महाविकास अघाड़ी या कांग्रेस छोड़नी पड़े.
ये भी पढ़ें: निज्जर हत्याकांड में PM पर लगा आरोप, भारत की शान पर आई बात, प्रधानमंत्री पद का उठा मुद्दा