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राज ठाकरे का खुला सच, शिवसेना छोड़ने के पीछे क्या थी वजह, 20 साल बाद उठा रहस्य से पर्दा

महाराष्ट्र में शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच हमेशा दिलचस्प राजनीतिक रिश्ते रहे हैं। दोनों परिवारों के बीच पुराना इतिहास है. वहीं एक वक्त ऐसा भी आया जब राज ठाकरे को शिवसेना छोड़ने का फैसला लेना पड़ा. जब राज ठाकरे शिवसेना छोड़ने जा रहे थे तो उनके मन में कई तरह की भावनात्मक उथल-पुथल चल रही थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब वह पार्टी से निकले तो काफी भावुक हो गए और उनकी आंखों में आंसू आ गए।

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Raj Thackeray's truth revealed, what was the reason behind leaving Shiv Sena, mystery revealed after 20 years
  • November 17, 2024 9:40 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

मुंबई: महाराष्ट्र में शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच हमेशा दिलचस्प राजनीतिक रिश्ते रहे हैं। दोनों परिवारों के बीच पुराना इतिहास है. वहीं एक वक्त ऐसा भी आया जब राज ठाकरे को शिवसेना छोड़ने का फैसला लेना पड़ा. यह घटना न केवल राजनीतिक थी बल्कि नितांत व्यक्तिगत भी थी। जब राज ठाकरे ने पार्टी छोड़ी तो उनके आंसुओं ने बड़ी कहानी बयां कर दी और सवाल खड़े कर दिए कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो उन्हें ये फैसला लेने पर मजबूर होना पड़ा.

 

उथल-पुथल चल रही थी

 

जब राज ठाकरे शिवसेना छोड़ने जा रहे थे तो उनके मन में कई तरह की भावनात्मक उथल-पुथल चल रही थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब वह पार्टी से निकले तो काफी भावुक हो गए और उनकी आंखों में आंसू आ गए। यह उनके लिए आसान फैसला नहीं था, क्योंकि शिवसेना ही उनका घर और परिवार थी.राज ठाकरे हमेशा अपने चाचा बाल ठाकरे को अपना आदर्श मानते थे और शिव सेना उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा थी. लेकिन इस बदलाव के पीछे की वजहें अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाई हैं.

 

इजाजत मांगी थी

 

जब राज ठाकरे शिव सेना छोड़ने की कगार पर थे, तब उन्होंने उद्धव ठाकरे से बाला साहेब ठाकरे से मिलने की इजाजत मांगी थी. लेकिन जानकारी के मुताबिक, उद्धव ठाकरे ने उन्हें बाला साहेब से मिलने नहीं दिया. यह कदम राजनीतिक था या व्यक्तिगत, इसे लेकर कई तरह की अटकलें हैं। क्या उद्धव को डर था कि राज बाला साहेब के साथ मिलकर शिवसेना में बदलाव की बात करेंगे? या फिर ये कोई आंतरिक पारिवारिक विवाद था जो राज ठाकरे को शिवसेना छोड़ने पर मजबूर कर रहा था.

 

प्रभाव कम होता गया

 

राज ठाकरे ने शिव सेना छोड़ने के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की स्थापना की। उनके नेतृत्व में पार्टी ने कुछ समय तक राज्य की राजनीति में अहम भूमिका निभाई, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रभाव कम होता गया. राज ठाकरे ने शिव सेना छोड़ने के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की स्थापना की। उनके नेतृत्व में पार्टी ने कुछ समय तक राज्य की राजनीति में अहम भूमिका निभाई, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रभाव कम होता गया. हालांकि, राज ठाकरे आज भी महाराष्ट्र की राजनीति में एक अहम चेहरा हैं और उनके फैसले हमेशा लोगों के बीच चर्चा का विषय बने रहते हैं।

सत्ता की लड़ाई नहीं

 

राज ठाकरे के शिव सेना छोड़ने के समय छुपी राज और उनकी भावनाओं ने यह साबित कर दिया कि राजनीति सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह निजी रिश्तों और झगड़ों का भी मैदान है. राज ठाकरे के शिवसेना छोड़ने के फैसले और उनके आंसुओं से पता चलता है कि ये फैसला उनके लिए निजी तौर पर भी मुश्किल था. वैसे तो राजनीति में बदलाव और मतभेद होते रहते हैं, लेकिन राज ठाकरे के इस कदम से साफ हो गया कि कई बार पारिवारिक रिश्ते भी सत्ता से ऊपर हो सकते हैं.

 

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