महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में भी एक अनूठी परंपरा देखने को मिली, जहां रंग और गुलाल की जगह पत्थर फेंककर इस पर्व को मनाया गया. बता दें इस अनोखी होली को देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। परंपरा के अनुसार, जो भी व्यक्ति पत्थरबाजी में घायल होता है, उसे अस्पताल ले जाने के बजाय संत गदाजी महाराज के मंदिर में ले जाया जाता है।
मुंबई: भारत देश में बड़े ही धूमधाम के साथ होली का त्यौहार मनाया गया. वहीं कुछ राज्यों में होली खेलने के अलग-अलग अंदाज़ और परम्पराएं भी सामने आई. इसी बीच महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में भी एक अनूठी परंपरा देखने को मिली, जहां रंग और गुलाल की जगह पत्थर फेंककर इस पर्व को मनाया गया. बता दें इस अनोखी होली को देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। यह परंपरा करीब 100 साल पुरानी मानी जाती है और इसे संत गदाजी महाराज से जुड़ा हुआ माना जाता है।
गांव में होली की राख को बेहद पवित्र माना जाता है। परंपरा के अनुसार, जो भी व्यक्ति पत्थरबाजी में घायल होता है, उसे अस्पताल ले जाने के बजाय संत गदाजी महाराज के मंदिर में ले जाया जाता है। वहां घावों पर होली की राख लगाई जाती है, जिसे उपचार के रूप में देखा जाता है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यह राख चमत्कारी रूप से घावों को ठीक कर देती है।
इस वर्ष 14 मार्च 2025 को होली पूरे देश में उल्लास और उमंग के साथ मनाई गई। राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों ने भी इस अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। वहीं इस बार होली और रमजान का पवित्र जुमे का दिन एक साथ पड़ा, जिससे देशभर में सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ा दिया गया था। हालांकि, 61 साल बाद हिंदू-मुस्लिम त्योहारों का यह संयोग देखने को मिला। हालांकि हर साल की तरह इस बार भी लोगों ने रंग-गुलाल उड़ाकर, गीत-संगीत के साथ उत्सव का आनंद लिया और एक-दूसरे को होली की बधाई दी।
ये भी पढ़ें: आज की 5 बड़ी ख़बरें: गृह मंत्री अमित शाह का मिजोरम दौरा आज, पश्चिम बंगाल में 17 मार्च तक इंटरनेट सेवाएं बंद