मुंबई: महाराष्ट्र में सियासी उथल-पुथल जारी है। इसी क्रम में उद्धव ठाकरे को एक और बड़ा झटका लगा है। क्योंकि ठाकरे के गुट के नेता और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री दीपक सावंत अब महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे का दामन थामने वाले हैं। वे शिवसेना की सदस्यता को स्वीकार करेंगे, जो शिंदे के पास गए थे। […]
मुंबई: महाराष्ट्र में सियासी उथल-पुथल जारी है। इसी क्रम में उद्धव ठाकरे को एक और बड़ा झटका लगा है। क्योंकि ठाकरे के गुट के नेता और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री दीपक सावंत अब महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे का दामन थामने वाले हैं। वे शिवसेना की सदस्यता को स्वीकार करेंगे, जो शिंदे के पास गए थे। आपको बता दें, एक-एक कर उद्धव ठाकरे के गुट के नेता समेत विधायक शिंदे गुट में शामिल होते नज़र आ रहे हैं। लिहाजा महाराष्ट्र में ठाकरे का गुट कमजोर होता नजर आ रहा है। राजनीतिक विश्लेषक के मुताबिक आगामी चुनाव से शिंदे गुट को फायदा हो सकता है।
चूँकि शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न उनसे ले लिया गया है, ऐसे में उद्धव ठाकरे के लिए बुरी खबरों का सिलसिला जारी है। बीते सोमवार को उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी नेता सुभाष देसाई के बेटे भूषण एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो गए। शिवसेना में शामिल होने के बाद भूषण देसाई ने कहा, “बालासाहेब मेरे भगवान हैं”। एकनाथ शिंदे हिंदुत्व विचारों को बढ़ावा दे रहे हैं। मुझे उस पर विश्वास है। मैंने उनके साथ पहले भी काम किया है और भविष्य में भी उनका साथ दूँगा। एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते शिंदे मुझे प्रेरित करते हैं।
जानकरी के लिए बता दें कि सीपीएन के दिवंगत नेता वसंत पवार की बेटी अमृता पवार और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बबनराव घोलप की बेटी तंजुआ घोलप एक दिन पहले मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गई थीं। पवार और घोलप महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भाजपा के राज्य अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले की उपस्थिति में पार्टी के मुंबई कार्यालय में भाजपा में शामिल हुए।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे के गुट ने महाराष्ट्र में बगावत कर दी थी। इसके बाद उद्धव ठाकरे का शासन गिर गया था। शिंदे ने शिवसेना के बागी विधायकों के साथ मिलकर बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई। इसके बाद से उद्धव ठाकरे के गुट के कई नेता शिंदे के गुट में शामिल हो गए। वहीं, लंबे समय तक चले हंगामे के बाद उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच शिवसेना के नाम और पार्टी के सिंबल पर अधिकार को लेकर तकरार हुई। चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम और शिवसेना का सिंबल सौंप दिया था। फिर मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुँचा। लेकिन उद्धव ठाकरे को शीर्ष न्यायलय से कोई राहत नहीं मिली.
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