नई दिल्ली. Maharashtra Deputy CM NCP Ajit Pawar Profile: महाराष्ट्र की राजनीति में रातोंरात बड़ा उलटफेर हो गया है. राज्य में भाजपा-एनसीपी की सरकार बन चुकी है. शनिवार सुबह पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने सीएम और एनसीपी नेता अजीत पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. रातोंरात हुए इस सियासी खेल में अजीत पवार खिलाड़ी साबित हुए हैं. अजीत पवार महाराष्ट राजनीति के दिग्गज नेता व एनसीपी चीफ शरद पवार के भतीजे हैं. आइए महाराष्ट्र के नए डिप्टी सीएम अजीत पवार के राजिनितक करियर पर एक नजर डालते हैं.
महाराष्ट्र में सीएम की कुर्सी पर हुई रस्साकशी शनिवार उस समय समाप्त हो गई जब भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने दोबारा सीएम पद की शपथ ले ली. एनसीपी नेता अजीत पवार ने भाजपा को समर्थन दे दिया. वहीं शुक्रवार तक उनके चाचा व एनसीपी के चीफ शरद पवार ने कहा था कि महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस-एनसीपी की सरकार बनेगी, लेकिन शनिवार को भाजपा के साथ मिलकर अजीत पवार सरकार बनाकर सभी को चौंका दिया है. इस समय अजीत पवार हर तरफ चर्चा का विषय बने हुए हैं.
अजीत पवार का जन्म 22 जुलाई 1959 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के देवलाली प्रावारा में उनके दादा के घर हुआ था. उनके पिता का नाम अनंतराव पवार है, जो कि एनसीपी चीफ शरद पवार के बड़े भाई थे. अजीत पवार के पिता अनंतराव पवार मुंबई के राजकमल स्टूडियो में काम करते थे. अपने चाचा शरद पवार के नक्शेकदम पर चलते हुए अजीत पवार ने राजनीति में कदम रखा. अजीत पवार 1990 से लेकर अब तक 7 बार बारामती सीट से विधायक बन चुके हैं. अजीत पवार को चाहने वाले लोग उन्हें दादा के नाम से पुकारते हैं.
अजीत पवार के राजनीतिक सफर की बात करें तो उन्होंने एक चीनी सहकारी संस्था के लिए साल 1982 में चुनाव लड़ा और उसके सदस्य बने. इसके बाद साल 1991 में अजीत पवार पुणे जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन बने और 16 सालों तक इस पद पर काबिज रहे. इस दौरान वह बारामती लोकसभा सीट से सांसद भी बने, लेकिन उन्होंने अपने चाचा शरद पवार के लिए यह सीट छोड़ दी थी.
7 बार रहे हैं विधायक
बारामती सीट पर पवार खानदान का ही दबदबा रहा है. साल 1967 से लेकर 1990 तक यहां से शरद पवार विधायक रहे. इसके बाद अजीत पवार की एंट्री होती है और साल 1991 से लेकर अब तक वह इस सीट पर विधायक चुने गए हैं. साल 1992 में अजीत पवार बारामती सीट से विधायक बने और महाराष्ट्र विधानसभा पहुंचे. इसके बाद 1995, 1999, 2004, 2009 और 2014 तक लगातार इस सीट से जीत दर्ज करते रहे. सुधाकर नाईक की सरकार में पहली बार राज्य मंत्री बने. इसके बाद 1993 में जब शरद पवार सीएम बने थे तो अजीत पवार को कैबिनेट मंत्री बनाया गया.
दूसरी बार मिला है डिप्टी सीएम का पद
अजीत पवार इससे पहले भी डिप्टी सीएम का पद संभाल चुके हैं. साल 2010 में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार में उन्होंने डिप्टी सीएम की कुर्सी संभाली थी, लेकिन सिंचाई घोटाले के चलते 2012 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. बाद में एनसीपी ने एक श्वेत पत्र जारी कर उन्हें क्लीन चिट दे दी थी और उनका डिप्टी सीएम का कार्यकाल जारी रहा.
विवादों से रहा है नाता
अजीत पवार का विवादों से भी पुराना नाता रहा है. 7 अप्रैल 2013 को उन्होंने एक विवादित बयान दिया था. एक सभा अजीत पवार ने कहा था कि अगर बांध में पानी नहीं है तो क्या पेशाब करके भरें?. इस बयान की चारों तरफ कड़ी निंदा हुई थी, जिसके बाद अजीत पवार को माफी मांगनी पड़ी थी और इसे उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती बताया था. इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उनपर वोटरों को धमकाने का आरोप लगा था. उनपर आरोप था कि उन्होंने गांववालों को सुप्रिया सुले को वोट ना देने पर पानी बंद करने की धमकी दे थी.
सुप्रिया सुले का छलका दर्द
महाराष्ट्र में हुए सियासी खेल पर शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने भी प्रतिक्रिया दी है. समाचार ऐजेंसी एएनआई के ट्वीट के मुताबिक सुप्रिया सुले ने कहा है कि पार्टी और परिवार में फूट पड़ चुकी है. सुप्रिया सुले ने इस बात को अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर लगाकर कहा है. सुप्रिया सुले के ऑफिस ने भी इसकी पुष्टि की है.
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