दलित दंपति ने किया था हाथ से मैला उठाने से इनकार, मद्रास हाई कोर्ट ने लगाया 25,000 का जुर्माना

एक दलित दंपत्ति ने बतौर मैनुअल स्कैवैंजर काम करने से मना किया तो मद्रास कोर्ट ने उन पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगा दिया. मद्रास हाईकोर्ट के इस फैसले से दंपत्ति की मुश्किलें बढ़ गई हैं वहीं ये काम करने से मना करने पर उन्हें जान से मारने की धमकियां भी मिल रही हैं.

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दलित दंपति ने किया था हाथ से मैला उठाने से इनकार, मद्रास हाई कोर्ट ने लगाया 25,000 का जुर्माना

Aanchal Pandey

  • February 28, 2018 4:13 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

चेन्नईः मद्रास हाईकोर्ट ने एक अजीब फैसला सुनाया है. एक दलित दंपत्ति ने बतौर मैनूअल स्कैवैन्जर्स (मैला ढोना) काम करने से मना किया तो मद्रास हाईकोर्ट ने उन पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगा दिया. दंपत्ति का कहना है कि कोर्ट ने हमारी एक भी शिकायत नहीं सुनी. उन्होंने बताया कि हम आज भी हम गुमनाम जिंदगी जी रहे हैं क्योंकि हमें जान की धमकी मिल रही है. हमारे बच्चे स्कूल नहीं जा रहे क्योंकि हमारे पास रुपये नहीं बचे.

मद्रास हाईकोर्ट का कहना है कि जैसे कि स्वीपर/स्कैवेंजर को काम दिया जाता है, उन्हें टॉयलेट भी साफ करना पड़ेगा क्योंकि उनकी नियुक्ति पूरे परिवार के कपड़े जिसके लिए उन्हें पैसा दिया जाता है. जबकि उनकी नियुक्ति घरेलू नौकरानी के तौर पर हुई तो उन्हें पूरे परिवार के कपड़े भी धोने होंगे. उसी तरह स्वीपर यह शिकायत नहीं कर सकता कि उन्हें टॉयलेट साफ करने के लिए बाध्य किया जा रहा है.

कोर्ट के इस फैसले से दलित दंपत्ति की मुश्किलें बढ़ गई हैं. मैनुअल स्कैवैंजर का काम करने से मना करने के कारण उन्हें जान से मारने की धमकियां भी मिलने लगी हैं. रुपयों की कमी के कारण बच्चों का स्कूल जाना तक बंद हो गया है. दंपत्ति मद्रास हाईकोर्ट से फैसले से बेहद निराश हैं.

क्या है मामला: अगस्त 2017 में एक वीडियो वायरल हुआ था। अन्ना यूनिवर्सिटी के एक कर्मचारी ने कहा था कि डीन चित्रा सेल्वी जबरन कर्मचारियों से बिना किसी सुरक्षा उपकरण के मैला ढोने का दबाव डालती हैं। इसके अलावा वह अपने घर के निजी काम (जिसमें अपने और पति के अंडरवेयर और घर के टॉयलेट्स शामिल थे) भी करवाती थी। चित्रा अपने पति से उनका यौन शोषण भी कराती थीं। यह वीडियो भारती नाम की एक एक्टिविस्ट ने बनाई थी, जिन्हें धमकी के बाद तमिलनाडु छोड़ना पड़ा। इसके अलावा उन पर पालर समुदाय के खिलाफ होने का आरोप भी लगाया, जिससे चित्रा ताल्लुक रखती हैं।

इस दंपति को कॉलेज में स्वीपर की नौकरी मिली थी और ये कॉन्ट्रैक्ट पर थे। 15 सफाई कर्मचारी भी इस दंपति के साथ कलेक्टर के अॉफिस गए थे, लेकिन बाद में उन्होंने शिकायत को वापस ले लिया गया। कर्मचारियों ने एक माफीनामा लिखा और वापस कॉलेज काम करने चले गए, लेकिन इस दंपति ने काम करने से इनकार कर दिया।

मद्रास हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?

जब किसी सफाई कर्मचारी या मेहतर को काम पर रखा जाता है तो उसे उसे टॉयलेट भी साफ करना होगा, क्योंकि उसे सफाई करने की ही तनख्वाह दी जा रही है. इसी तरह अगर किसी मेड या नौकरानी के तौर पर रखा गया है तो उसे कपड़ों के अलावा इनर्स भी धोना होगा. बिलकुल उसी तरह एक सफाई कर्मचारी ये इस बात की शिकायत नहीं कर सकता कि उससे बाथरूम साफ करवाया जा रहा है क्योंकि ये उसका काम है. इस तरह की शिकायत बिलकुल बेबुनियाद है.

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