मध्य प्रदेश: सिंगरौली स्कूल की अनोखी कहानी, हैरान कर देगा बच्चे का हुनर, क्या है मामला

भोपाल: सिंगरौली जिले के बुधेला गांव में एक निजी स्कूल के सभी बच्चे दोनों हाथों से एक साथ लिखते हैं. यह बच्चे पांच भाषाओं अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत, उर्दू और स्पेनिश में लिख सकते हैं। मध्य प्रदेश में स्थित सिंगरौली जिले के बुधेला गांव में एक निजी स्कूल के सभी बच्चे दोनों हाथों से एक साथ […]

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मध्य प्रदेश: सिंगरौली स्कूल की अनोखी कहानी, हैरान कर देगा बच्चे का हुनर, क्या है मामला

Deonandan Mandal

  • November 14, 2022 10:35 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

भोपाल: सिंगरौली जिले के बुधेला गांव में एक निजी स्कूल के सभी बच्चे दोनों हाथों से एक साथ लिखते हैं. यह बच्चे पांच भाषाओं अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत, उर्दू और स्पेनिश में लिख सकते हैं।

मध्य प्रदेश में स्थित सिंगरौली जिले के बुधेला गांव में एक निजी स्कूल के सभी बच्चे दोनों हाथों से एक साथ लिखने का कला जानते हैं. इस गांव के एक स्कूल में छात्र इस कला में इतने निपुण हो चुके हैं कि कंप्यूटर के कीबोर्ड से भी अधिक रफ्तार से उनकी कलम चलती है. लगातार अभ्यास से बच्चे इतने चतुर हो चुके हैं कि दोनों हाथ से एक साथ लिखकर सबको आश्चर्य में डाल देते हैं. यह बच्चे पांच भाषाओं अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत, उर्दू और स्पेनिश में लिख सकते हैं. छात्रों के इस हुनर को “हैरी पॉटर” वाला जादू कहा जाता है.

8 जुलाई 1999 को खोली थी स्कूल

सिंगरौली जिले के बुधेला निवासी वीरंगद शर्मा ने एक रोचक सोच के साथ 8 जुलाई 1999 को नींव रखी थी. इससे पहले वीरंगद जबलपुर में सेना का ट्रेनिंग ले रहे थे. वीरंगद शर्मा ने कहा कि एक दिन जबलपुर रेलवे स्टेशन पर मैंने एक पुस्तक में पढ़ा कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद अपने दोनों हाथ से लिखते थे. यह पढ़कर मुझमें खोजबीन करने की प्रेरणा मिली। हालांकि इतनी जिज्ञासा बढ़ गई कि कुछ ही दिनों में सेना का प्रशिक्षण छोड़ दिया. खोजने पर उन्हें यह जानकारी मिला कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में छात्र औसतन प्रतिदिन 32,000 शब्द लिखने की सामर्थ्य रखते थे. इस पर पहले भरोसा करना काफी मुश्किल था. लेकिन जब मैने पिछले इतिहास देखा तो कई जगह इसका उल्लेख मिला. इसी सोच के साथ स्कूल की नींव रखा.

देश के इतिहास की बात को वर्तमान में वीरंगद ने सार्थक करने का निश्चय कर लिया है. पहले दोनों हाथों से लिखने का खुद कोशिश किया लेकिन खास सफलता नहीं मिली. जब बच्चों पर प्रयोग किया तो सीखने में सफल हुआ और आगे बच्चों की लेखन क्षमता बढ़ाने का प्रयास शुरू किया. अब खास बात यह है कि 11 घंटे में बच्चे लगभग 24 हजार शब्द तक लिख लेते हैं. वीरंगद ने इस काम के दौरान एलएलबी की पढ़ाई भी पूरी कर ली।

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