खराब हैंडराइटिंग की वजह से इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन डॉक्टरों पर 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. अब इंदौर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में छात्रों और डॉक्टरों के लिए हैंडराइटिंग सुधारने के लिए सेमिनार और कोचिंग क्लासेज शुरू की जाएंगी.
इंदौर: तीन डॉक्टरों पर खराब हैंडराइटिंग के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा 5 हजार रुपये का फाइन लगाए जाने के बाद इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज अब मेडिकल स्टूडेंट्स को हैंडराइटिंग सुधारने की कोचिंग भी देगा. एमजीएम की डीन ज्योति बिंदल ने कहा, ”डॉक्टरों की लिखावट सुधारने के लिए सेमिनार और छात्रों के लिए ट्रेनिंग सेशन आयोजित कराया जाएगा.” उन्होंने कहा कि हैंडराइटिंग डॉक्टरों के लिए बड़ी समस्या रही है. हम इसे खत्म करना चाहते हैं.
बिंदल ने कहा, कभी-कभी दवाई के पर्चे पर लिखी खराब हैंडराइटिंग के कारण मरीज गलत दवा ले लेते हैं. साथ ही इंश्योरेंस क्लेम्स में भी खराब लिखावट के कारण कानूनी विवाद पैदा हो जाते हैं. आयुष्मान भारत स्कीम में भी पढ़ने योग्य राइटिंग लिखने के आदेश दिए गए हैं. बिंदल ने कहा, ”इसमें कहा गया है कि अगर दवाई का पर्चा पढ़ने लायक नहीं हुआ तो लाभार्थी को इंश्योरेंस का क्लेम नहीं मिलेगा.” साल 2015 में स्वास्थ्य मंत्री ने दवाई के पर्चे पर कैपिटल अक्षरों में लिखने का आदेश दिया था, ताकि मरीजों और कैमिस्ट के लिए चीजें आसान हों.
इंदौर के करीब 1000 डॉक्टर अब एक सॉफ्टवेयर खरीद रहे हैं, जिसके जरिए वह डिजिटल पर्चे पर मरीजों को दवा दे रहे हैं. आईएमए के सदस्य डॉ. संजय लोन्धे ने कहा, ”पिछले साल इंडियन मेडिकल असोसिएशन ने हैंडराइटिंग सुधारने या दवाई कैपिटल अक्षरों में लिखने का आदेश दिया था. कई डॉक्टरों ने विकल्प के तौर पर डिजिटल सॉफ्टवेयर का सहारा लिया. ” डॉक्टरों का कहना है कि डिजिटल पर्चे पर दवाई लिखने में वक्त लगता है, लेकिन यह बेस्ट है.
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