नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी (आप) के पंजाब अध्यक्ष और सांसद भगवंत मान ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर किसानों के संघर्ष के दौरान हुई मौतों की उपेक्षा करने के लिए लताड़ लगाते हुए कहा कि पिछले आठ महीनों के दौरान सैकड़ों किसानों की मौत हुई है।
किसानों के संघर्ष की, उनकी मौतों के साथ अखबारों की सुर्खियां थी, लेकिन तानाशाही मोदी सरकार ने इस मामले से आंखें मूंद ली थीं। बुधवार को यहां पार्टी मुख्यालय से जारी एक बयान में भगवंत मान ने कहा कि मोदी सरकार किस स्तर तक बेरहम हो गई है कि वे उन लोगों की उपेक्षा कर रहे हैं जो उनकी आंखों के सामने मर गए। मान ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार के पास अपने निवासियों की मौतों का कोई रिकॉर्ड नहीं है। उन्होंने कहा कि वास्तव में सरकार किसानों को मुआवजा देने से भाग रही है, लेकिन उन्हें अपमानित करने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा, “मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बदले की भावना और जिद के साथ सत्ता के नशे में है और अपने आसपास कुछ भी होते हुए नहीं देख पा रही है।” आप सांसद ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘मौजूदा मोदी सरकार में विरोध के लिए कोई जगह नहीं है, कोई आवाज नहीं सुनी जाती है और सभी आवाजें दबा दी जाती हैं। जो भी मोदी के खिलाफ आवाज उठाता है, वह उन्हें कीड़ा मान लेता है, जो निंदनीय है।
भगवंत मान ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी और इससे संबंधित मौतों की सुर्खियां थीं, लेकिन सरकार के पास कोई डेटा नहीं था। इसी तरह, शुरुआती लॉकडाउन के दौरान अपने मूल निवासियों को सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलते हुए संघर्ष करने वाले और मरने वाले प्रवासी मजदूर; उनका डाटा भी केंद्र के पास उपलब्ध नहीं था। उन्होंने कहा, ‘एक तरफ सरकार लोगों के फोन की जासूसी कर उनके निजी मामलों में दखल दे रही है। वहीं दूसरी ओर किसानों और अन्य लोगों की मौत से जनता अनभिज्ञ होती जा रही है। उन्होंने कहा कि उनके सामने मरने वालों का कोई डेटा नहीं है; लेकिन उनके पास हर किसी के फोन का डेटा है”
भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार के पास जासूसी के सारे स्रोत हैं और मोदी की योजना हिटलर से आगे जाने की है। जो देश के लिए खतरनाक है। उन्होंने किसानों के संघर्ष के शहीदों पर रिपोर्ट देने और संबंधित अधिकारियों की लापरवाही की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की मांग की। भगवंत मान ने किसानों का डेटा केंद्र सरकार को भेजने में विफल रहने पर कैप्टन अमरिंदर सिंह की भी खिंचाई की।
उन्होंने कैप्टन अमरिन्दर सिंह से शहीद किसानों का डाटा तुरंत केन्द्र को भेजने की मांग की ताकि उनके परिवारों को एक नीति के तहत केंद्र और राज्य सरकार दोनों से मुआवजा मिल सके। मान ने आगे कैप्टन को सलाह दी कि अगर उन्हें डेटा नहीं मिलता है; वह संपर्क कर सकते थे और किसान संघों से डेटा प्राप्त कर सकते थे और इसे केंद्र को भेज सकते थे।
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