पटना। 7 चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव में पहले फेज की वोटिंग पूरी हो गई है। कुछ स्थानों पर हुई छिटपुट हिंसा को छोड़कर सभी जगह मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। पहले चरण में 62.37 फीसदी मतदान हुआ है जो कि 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में कम है। 2019 लोकसभा चुनाव […]
पटना। 7 चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव में पहले फेज की वोटिंग पूरी हो गई है। कुछ स्थानों पर हुई छिटपुट हिंसा को छोड़कर सभी जगह मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। पहले चरण में 62.37 फीसदी मतदान हुआ है जो कि 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में कम है। 2019 लोकसभा चुनाव में पहले चरण में 69.43% वोटिंग हुई थी। वहीं इस बार सबसे कम वोट बिहार में पड़े हैं।
पहले चरण के चुनाव में कैंडिडेट्स को लेकर वोटरों में उत्साह नहीं देखा गया। जिसके फलस्वरूप फर्स्ट फेज की चार सीटें नवादा, औरंगाबाद, जमुई और गया में मतदान प्रतिशत में गिरावट दर्ज की गई। सबसे कम नवादा में महज 41.5 फीसदी ही वोटिंग हुई है, इसके बाद औरंगाबाद और जमुई में 50 प्रतिशत और गया में 52% वोट डाले गए हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो बिहार में वोटिंग पर्सेंटेज में आईं गिरावट मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। मालूम हो कि पहले चरण की सभी सीटों पर लगभग नए कैंडिडेट्स हैं लेकिन इसके बाद भी वोटर्स में प्रत्याशियों के लिए उत्साह नहीं दिखा। नवादा, जमुई और औरंगाबाद में दोनों तरफ से नए उम्मीदवार थे लेकिन फिर भी मतदाता बड़ी संख्या में वोट डालने नहीं पहुंचे।
1. बिहार में वोटिंग में आई गिरावट की एक बड़ी वजह है नेताओं के प्रति लोगों में पहले की तरह दिलचस्पी नहीं रही। शहरी क्षेत्रों में बूथों पर पार्टी कार्यकर्ताओं के अंदर भी 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव जैसा जोश नहीं था। हालांकि गांव में समर्थकों में थोड़ा उत्साह जरूर देखने को मिला।
2. वोटिंग में आई गिरावट की एक बड़ी वजह गर्मी भी हो सकती है। सुबह 7 से 9 बजे तक तो लोग बूथ पर पहुंचे लेकिन इसके बाद जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती गई वोट डालने की रफ़्तार कम पड़ती गई। दोपहर तक पोलिंग बूथ पर सन्नाटा था। दरअसल शुक्रवार को सूबे के कई हिस्सों में पारा 40 डिग्री के पार था।
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