लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 में पिछड़ों में यादव जाति के बाद सबसे बड़ी आबादी वाले कुर्मी समाज को अपने पाले में लाने और बनाए रखने की लामबंदी तेज हो गई है। बीजेपी ने यूपी में अपना दल से गठबंधन के बावजूद पड़ोसी राज्य बिहार में नीतीश कुमार से भी गठबंधन कर लिया। तो वहीं सपा […]
लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 में पिछड़ों में यादव जाति के बाद सबसे बड़ी आबादी वाले कुर्मी समाज को अपने पाले में लाने और बनाए रखने की लामबंदी तेज हो गई है। बीजेपी ने यूपी में अपना दल से गठबंधन के बावजूद पड़ोसी राज्य बिहार में नीतीश कुमार से भी गठबंधन कर लिया। तो वहीं सपा ने बिना देर किए सबसे तेज पहल करते हुए 16 प्रत्याशी उतारे, जिनमें सबसे अधिक चार कुर्मी शामिल किए हैं।
उत्तर प्रदेश में पिछड़ी जातियों में यादव समाज के बाद सबसे अदिक आबादी कुर्मी समाज की मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि पिछड़ी जातियों में कुर्मी लगभग आठ फीसदी हैं। सूबे में लोकसभा की करीब 35 सीटों को कुर्मी मतदाता प्रभावित करते हैं तो वहीं 25 से अधिक ऐसी सीटें हैं जहां से कभी न कभी कुर्मी सांसद चुने गए हैं। मौजूदा समय में कुल 41 कुर्मी विधायक हैं। इनमें से 27 बीजेपी से हैं, 13 समाजवादी पार्टी तथा एक कांग्रेस से हैं। पांच विधान परिषद के सदस्य भी कुर्मी समाज से हैं।
वहीं 80 में से आठ सांसद भी कुर्मी हैं।
सपा ने लोकसभा चुनाव के लिए 16 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर दी है। इसमें डिंपल यादव सहित तीन प्रत्याशी परिवार के हैं, वहीं चार कुर्मी और एक मुस्लिम प्रत्याशी हैं। सांसद डिंपल यादव को फिर से मैनपुरी तथा शफीकुर्रहमान बर्क को संभल से उम्मीदवार बनाया गया है। फैजाबाद अनारक्षित सीट हैं, लेकिन यहां से पूर्व मंत्री एवं नौ बार के विधायक अनुसूचित जाति के अवधेश प्रसाद को उम्मीदवार बनाया गया है।