Lok Sabha 2019 Elections: कांग्रेस नेता हाजी सुल्तान खान के बेटे हारुन राशिद लोकसभा चुनाव 2019 में अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ ताल ठोकेंगे. उन्होंने कहा कि स्थानीय नेतृत्व ने उन्हें और समुदाय को पूरी तरह दरकिनार कर दिया है. राशिद के चुनाव लड़ने से अमेठी का मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा. बीजेपी ने यहां से स्मृति ईरानी को दोबारा टिकट दिया है.
अमेठी. कांग्रेस के गढ़ और राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में पार्टी को तगड़ा झटका लगा है. कांग्रेस नेता हाजी सुल्तान खान के बेटे हाजी हारुन राशिद ने राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. उनके पिता सुल्तान खान ने साल 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और 1999 में यूपीए चीफ सोनिया गांधी का लोकसभा चुनाव के लिए पर्चा भरा था. राशिद ने कहा, उन्हें पार्टी में पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है.
स्थानीय नेतृत्व के कारण यहां पूरा समुदाय अपेक्षित महसूस करने लगा है. जब पूछा गया कि वह राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ना क्यों चाहते हैं तो उन्होंने कहा, ”कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व हमें लंबे समय से दरकिनार कर रहा है. इस वजह से हमारे समुदाय और इलाके का विकास रुका हुआ है.” कांग्रेस को अमेठी में वह कैसे टक्कर दे पाएंगे इस पर उन्होंने कहा, ”इलाके में 6.5 लाख मुस्लिम वोटर हैं और हम सभी कांग्रेस के खिलाफ वोट करेंगे.”
उन्होंने फुर्सतगंज स्थित आवास पर राजीव गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी की पिता हाजी सुल्तान के साथ तस्वीरें भी दिखाईं, जो इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी से तीन किलोमीटर दूर है. हारुन राशिद के राहुल गांधी के खिलाफ उतरने के ऐलान के बाद कांग्रेस खेमे में हलचल मच गई है. जहां एक ओर बीजेपी ने दोबारा अमेठी से स्मृति ईरानी को उतारा है, वहीं हारुन के उतरने से वोट काफी बंटेगा, जिससे राहुल गांधी के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है.
2014 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी दूसरे नंबर पर रही थीं. उन्हें राहुल गांधी (4.07 लाख वोट) के मुकाबले 3 लाख से ज्यादा वोट मिले थे. अमेठी के लोग भी कई बार शिकायत कर चुके हैं कि राहुल गांधी राजीव गांधी के विकास कार्यों को आगे नहीं ले जा पाए. अमेठी लोकसभा सीट पिछले 4 दशक से कांग्रेस के पास है.
पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी यहां से 1980 में जीते थे. उनके निधन के बाद बड़े बेटे राजीव गांधी ने 1981 (उपचुनाव), 1984 और 1991 में यहां से विजय पाई. राजीव गांधी की हत्या के बाद उनकी पत्नी सोनिया गांधी यहां से चुनाव लड़ीं और उन्होंने भी जीत हासिल की. 2004 में सोनिया गांधी यह सीट राहुल गांधी के लिए छोड़ दी. तब से वह यहां से सांसद हैं.