राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. नायडू ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव पर अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल सहित संविधानविदों और कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा की, जिसके बाद उन्होंने इसे खारिज कर दिया. बताया जा रहा है कि सभापति ने प्रस्ताव को अवैध करार देते हुए राजनीति से प्रेरित बताया.
नई दिल्लीः राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. सूत्रों की मानें तो सभापति नायडू ने इसे अवैध करार देते हुए राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज किया है. कांग्रेस की अगुवाई में 7 विपक्षी दलों ने सदन के सामने यह प्रस्ताव रखा था. कानूनी सलाह लेने के बाद उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इसे खारिज कर दिया. नीचें देखें, प्रस्ताव खारिज करने से जुड़े सभी LIVE अपडेट्सः
बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं में व्यवधान डालने का कांग्रेस पार्टी का पुराना इतिहास रहा है. कानून के नियम वंशवाद के नियमों से प्रभावित नहीं हो सकते.
Congress party has a long history of disrupting institutions of democracy. The rule of law can not be confused with the rule of dynasty: Meenakshi Lekhi, BJP after impeachment motion against CJI was rejected by Vice President Venkaiah Naidu pic.twitter.com/puNv5cf2Kw
— ANI (@ANI) April 23, 2018
महाभियोग प्रस्ताव खारिज करने को लेकर कांग्रेस ने राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू के फैसले को गलत करार दिया. पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी सभापति के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी.
सिब्बल ने कहा कि सभापति द्वारा आज लिया गया फैसला पूरी तरह से गलत और गैरकानूनी है. बगैर जांच के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ है. उन्होंने कहा कि पहले इस मामले की जांच होनी चाहिए थी, उसके बाद फैसला लिया जाना चाहिए था. आज का फैसला बेहद जल्दबाजी में लिया गया.
कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि सभापति को सिर्फ यह देखना था कि महाभियोग प्रस्ताव पर इसके लिए सांसदों के जरूरी संख्याबल के हस्ताक्षर हैं या नहीं. इसके बाद जांच कमेटी बनती है जिसका काम ये बताना है कि आरोप सही हैं या नहीं. अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो फिर यह मामला सदन में आता है. सभापति को जो भी सलाह दी गई, गलत दी गई.
महाभियोग प्रस्ताव के मुद्दे पर कांग्रेसी सांसदों में मतभेद की खबरें भी सामने आ रही थीं. इस सवाल पर कपिल सिब्बल ने कहा कि यह पार्टी का मामला नहीं, सांसदों का मामला है. समझने वाले इसे समझ रहे हैं, जो न समझे वो अनाड़ी हैं.
We'll certainly file a petition (in Supreme Court) against this & would want the CJI to not take any decision with respect to it, be it the listing or anything else, we;ll accept whatever SC decides: Kapil Sibal after impeachment motion against CJI was rejected by Vice President pic.twitter.com/mOBOF0PIeP
— ANI (@ANI) April 23, 2018
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि महाभियोग लाने के लिए 50 सांसदों की जरूरत होती है, जो कांग्रेस ने पूरी की. सभापति प्रस्ताव की मेरिट तय नहीं कर सकते. अब ये लड़ाई सीधे तौर पर ‘लोकतंत्र को बचाने वालों’ और ‘लोकतंत्र को खारिज करने वालों’ के बीच है.
Constitutional process of impeachment is set in motion with 50 MP’s giving the motion.
RS Chairman can’t adjudge the motion, for he has no mandate to decide the merits of the motion.
This is truly a fight between forces ‘Rejecting Democracy’ & voices ‘Rescuing Democracy’.
1/3— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 23, 2018
शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने कहा कि दोनों ही पार्टियां (बीजेपी और कांग्रेस) गंदी राजनीति कर रही हैं. महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करना भी राजनीति से प्रेरित है. वह (सभापति वेंकैया नायडू) इस पर फैसला लेने के लिए थोड़ा इंतजार कर सकते थे. जल्दबाजी में प्रस्ताव को खारिज करने की बिल्कुल जरूरत नहीं थी.
Both the parties are playing dirty politics & the way the impeachment notice was rejected is also political. He could have waited, such hurry in rejection was not needed: Arvind Sawant, Shiv Sena on Venkaiah Naidu's rejection of Impeachment Notice against CJI Dipak Misra. pic.twitter.com/1oCL65DqkL
— ANI (@ANI) April 23, 2018
रिटायर्ड जस्टिस आर.एस. सोढ़ी ने कहा कि आप जानते हैं कि आपके पास कोई आधार नहीं है, आप उन पर (CJI दीपक मिश्रा) पर दोष नहीं मढ़ सकते. इसके बावजूद आप चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का बेतुका फैसला ले रहे हैं. यह सही तरीका नहीं है.
You know you don't have any ground, you know you can't impeach him. In spite of knowing all that still you go on & plunge in this ill-advised move. This can't be considered as a wise act: Justice (Retd) RS Sodhi on rejection of Impeachment Notice against CJI by VP Venkaiah Naidu. pic.twitter.com/WSoClgg65K
— ANI (@ANI) April 23, 2018
बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस पर कहा कि सभापति ने बिल्कुल सही फैसला लिया है. उन्हें इस प्रस्ताव पर चर्चा करने और फैसला लेने के लिए दो दिनों की जरूरत नहीं थी. उन्हें इस नोटिस को अमान्य करार देते हुए शुरू में ही फेंक देना चाहिए था. कांग्रेस पर हमला बोलते हुए स्वामी ने कहा कि कांग्रेस ऐसा करके आत्महत्या कर रही है.
He has decided correctly. He need not have taken two days to make the decision. It should've been considered null and void & thrown out from the beginning. Congress committed suicide by doing this: Subramanian Swamy on rejection of #ImpeachmentMotion notice againt CJI Dipak Misra pic.twitter.com/1Q0rYmboJm
— ANI (@ANI) April 23, 2018
कांग्रेस के नेता पी.एल. पुनिया ने प्रस्ताव खारिज किए जाने पर कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मामला है. हमें अभी तक नहीं पता है कि प्रस्ताव खारिज किए जाने की क्या वजह है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस पर कानूनी विशेषज्ञों से राय लेंगे, जिसके बाद अगला कदम उठाया जाएगा.
This is a really important matter. We don't know what was the reason for the rejection. Congress & other opposition parties will talk to some legal experts & take the next step: PL Punia, Congress on rejection of Impeachment Motion notice against CJI Dipak Misra. pic.twitter.com/8YFu1Fq2tC
— ANI (@ANI) April 23, 2018
वेंकैया नायडू ने प्रस्ताव को खारिज करने का फैसला सुनाते हुए कहा, ‘मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ लाया गया ये महाभियोग न ही उचित है और न ही अपेक्षित है.’ नायडू ने तकनीकी आधार पर विपक्ष के इस प्रस्ताव को खारिज किया है. 20 पन्नों के आदेश में सभापति नायडू ने लिखा, ‘यह राजनीति से प्रेरित प्रस्ताव है. विपक्ष के 71 सांसदों के हस्ताक्षर में 7 पूर्व सांसदों के हस्ताक्षर थे, लिहाजा तकनीकी आधार पर यह अवैध है. इस तरह का प्रस्ताव लाते समय हर पहलू को ध्यान में रखना चाहिए. कानूनी सलाह लेने के बाद ही मैं इस प्रस्ताव को खारिज कर रहा हूं.’ इसके बाद उन्होंने प्रस्ताव को खारिज करने संबंधी दस्तावेजों पर दस्तखत किए.
Delhi: Vice President M Venkaiah Naidu signing the papers of rejection of #ImpeachmentMotion against CJI Dipak Misra. pic.twitter.com/Ptj4AeiaUn
— ANI (@ANI) April 23, 2018
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाए जाने के बाद से सभी की निगाहें उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पर टिकी थीं. बताया जा रहा है कि नायडू ने अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल सहित संविधानविदों और कानूनी विशेषज्ञों के साथ प्रस्ताव पर चर्चा की. उन्होंने इसे स्वीकारने और खारिज करने को लेकर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव पी.के. मल्होत्रा सहित तमाम जानकारों से राय ली. जिसके बाद उन्होंने इसे खारिज करने का फैसला किया.
Vice President M Venkaiah Naidu rejects the Impeachment Motion against CJI Dipak Misra. pic.twitter.com/Bz53ikvAwh
— ANI (@ANI) April 23, 2018
गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को कांग्रेस की अगुवाई में 7 विपक्षी दलों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर कदाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू को नोटिस दिया था. इसके बाद विपक्षी दलों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसे लेकर राज्यसभा के अधिकारियों ने कहा कि सभापति की ओर से नोटिस को स्वीकार करने से पहले इसे सार्वजनिक करना संसदीय नियमों का उल्लंघन है. केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि ऐसा प्रस्ताव लाना कांग्रेस की महामूर्खता है, जैसा कि कहते हैं, ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’, उसी तरह यह कांग्रेस पार्टी की ‘विनाश काले पप्पू बुद्धि’ है.
बता दें कि कांग्रेस के साथ सीपीएम, सीपीआई, एसपी, बीएसपी, एनसीपी और मुस्लिम लीग ने चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन किया था. आरजेडी और तृणमूल कांग्रेस इस प्रस्ताव में कांग्रेस के साथ नजर नहीं आए. दोनों पार्टियों ने महाभियोग प्रस्ताव को लेकर बुलाई गई मीटिंग में भी हिस्सा नहीं लिया था. दूसरी ओर कांग्रेस के कुछ सांसद और दिग्गज नेता भी पार्टी के इस फैसले के साथ नहीं थे. वरिष्ठ वकील फाली नरीमन ने इसे काला दिन बताया था.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ कभी भी महाभियोग का प्रस्ताव नहीं आया है. कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को पेश करने के कुछ आधार बताए थे, जिनमें मुख्य न्यायाधीश के पद के अनुरुप आचरण न होना. सीजेआई पर प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट में फायदा उठाने का आरोप है. कांग्रेस ने इस मामले में मुख्य न्यायाधीश का नाम आने के बाद सघन जांच की जरूरत बताई. कहा गया कि प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट का मामला जब CJI के सामने आया तो उन्होंने न्यायिक और प्रशासनिक प्रक्रिया को किनारे कर दिया. जमीन का अधिग्रहण करना, फर्जी एफिडेविट लगाना और सुप्रीम कोर्ट जज बनने के बाद 2013 में जमीन को सरेंडर करना. कई संवेदनशील मामलों को चुनिंदा बेंच को देना.