नई दिल्ली: दिल्ली में नालों की हालत बत्तर है। बारिश होने पर निकासी का कोई रास्ता नही है और जो है वो सफाई ना होने के कारण जाम है। बीती रात दिल्ली में भारी बारिश के कारण छतरपुर का इलाका, प्रगति मैदान और ओखला समेत कई जगह जलभराव हो गया है। गाजीपुर इलाके में एक […]
नई दिल्ली: दिल्ली में नालों की हालत बत्तर है। बारिश होने पर निकासी का कोई रास्ता नही है और जो है वो सफाई ना होने के कारण जाम है। बीती रात दिल्ली में भारी बारिश के कारण छतरपुर का इलाका, प्रगति मैदान और ओखला समेत कई जगह जलभराव हो गया है।
गाजीपुर इलाके में एक 22 वर्षीय महिला और उसका बच्चा जलभराव वाले नाले में डूब गए। तो वहीं 28 जुलाई को ओल्ड राजेंद्र नगर में कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से तीन छात्रों की दुखद मृत्यु हो गई। ऐसे में जल निकासी का मुद्दा बहुत गंभीर हो जाता है। दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने इसे हल करने के लिए कानून बनाने की मांग की है।
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने कहा है कि शहर में नालों पर अतिक्रमण इतना ज्यादा है कि बिना किसी कानून के इससे निपटा नहीं जा सकता। शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के एक नोट के जवाब में कुमार ने मंगलवार (30 जुलाई) को उनसे दिल्ली के लिए जल निकासी योजना की सिफारिशों से संबंधित फाइल को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया।
इसमें ‘दिल्ली के लिए वर्षा जल एवं जल निकासी अधिनियम’ की आवश्यकता भी शामिल है, ताकि सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग कानून का मसौदा तैयार कर सके। भारद्वाज ने मुख्य सचिव को भेजे अपने नोट में कहा कि उन्होंने सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के प्रधान सचिव से पुष्टि की है कि फाइल के संबंध में उनकी ओर से कोई निर्णय लंबित नहीं है।
मुख्य सचिव ने कहा कि इस समस्या के कारण जब भी दिल्ली में भारी बारिश होती है, तो शहर में कई जगहों पर पानी भर जाता है। एमसीडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि ओल्ड राजेंद्र नगर में संपत्ति मालिकों ने नाले को ग्रेनाइट और संगमरमर के पत्थरों से ढक दिया है, जिससे उसकी सफाई की कोई गुंजाइश नहीं रह गई है और उसमें बारिश के पानी का बहाव बाधित हो रहा है।