नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पीथमपुर में गैस कांड के जहरीले कचरे को जलाने को लेकर लोगों का विरोध और भी ज्यादा उग्र होता जा रहा है। इसी कारण से विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस ने लाठी चार्ज कर दी। गैस त्रासदी के 40 वर्षों बाद भोपाल को यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे से मुक्ति मिल गई, परंतु जिले के जिस पीथमपुर में उस कचरे को जलाना है, वहां पर लोगों को एक बड़ा जत्था विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की देखरेख में ही निस्तारण किया जाएगा। उधर सूत्रों ने बताया कि कचरे को नष्ट करने पर 126 करोड़ रुपये खर्च होंगे जिसका वहन प्रदेश सरकार करेगी।
यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा लाने के विरोध में लोग काफी हंगामा कर रहे हैं। बता दें कि भोपाल गैस कांड के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन जहरीला कचरा गुरुवार की सुबह इंदौर के पास स्थित पीथमपुर की एक इंडस्ट्रियल वेस्ट डिपोजिट यूनिट में पहुंचा दिया गया था। लोगों की मांग है कि इस कचरे के निपटान की व्यवस्था पीथमपुर से हटाकर कहीं और की जाए। हजारों की तादाद में लोग इंदौर और धार में सड़क पर उतर आए हैं और बेकाबू पब्लिक को संभालने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा है।
40 साल पहले मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को अब जलाने की प्रक्रिया शुरू हो रही है। भोपाल की कार्बाइड फैक्ट्री में हुआ गैस कांड अब तक की सबसे खौफनाक त्रासदी में से एक रहा है। करीब 5 हजार लोगों ने 2-3 दिसंबर 1984 की रात हुई इस त्रासदी में अपनी जान गंवाई थी। इसके अलावा इससे कई ज्यादा लोग मानसिक और शारीरिक तौर पर अपंग हो गए थे। अब 40 साल के बाद फैक्ट्री के जहरीले कचरे के खात्मे को लेकर सरकार और प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है और यह तय किया है कि धार के पीथमपुरा में इस कचरे को जलाया जाएगा।
इस मामले में लोग इस मांग को उठा रहे हैं कि इस जहरीले कचरे को पीथमपुरा में नष्ट न किया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों को इस बात की आशंका है कि इससे वातावरण में और सीधे तौर पर जीव-जंतुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसी बीच मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। सीएम मोहन यादव ने आगे कहा कि भोपाल गैस त्रासदी के कचरे में 60 फीसदी मिट्टी है और 40 प्रतिशत नेफ्टॉल। कीटनाशक मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, साइंटिस्ट का दावा है कि कचरे में मौजूद जहर 25 साल तक रहता है और अब त्रासदी को 40 साल बीत चुके हैं. ऐसे में ये कचरा अब लोगों के लिए हानिकारक नहीं होगा।
मध्य प्रदेश में कई जगहों पर लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुका है. शुक्रवार (3 जनवरी) की सुबह गुस्साए लोगों को हटाने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा है। बताया जा रहा है कि सीलबंद कंटेनर में भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को रख कर ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बनाकर धार तक लाया गया है। इसके बाद ये कचरा 12 कंटेनर में भरा गया, जो 250 किलोमीटर का सफर तय कर धार तक पहुंचे। कचरा को यहां के पीथमपुरा इंडस्ट्रियल एरिया की वेस्ट डिपॉजिट यूनिट में सुरक्षित रखा गया है। पुलिस फोर्स भी इस यूनिट के आसपास भारी मात्रा में तैनात है।
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