शिमला। हिमाचल प्रदेश में आज विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग की जा रही है। यहां पर लगभग 56 लाख वोटर हैं जो अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए उत्सुक हैं। इस विधानसभा चुनाव में 68 सीटों के लिए कुल 412 प्रत्याशी अपना किस्मत आजमा रहे हैं। राज्य में भाजपा औऱ कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है। बता दें कि दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के बीच हिमाचल में सत्ता हासिल करने के लिए आपसी टक्कर आज की नहीं है बल्कि बहुत पुरानी है। आइए बताते हैं कि हिमाचल में उस वक्त क्या हुआ था जब भाजपा और कांग्रेस दोनों को 31-31 सीटें मिली थी और चुनाव टाई हो गया था।
हिमाचल प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच हर बार करारी टक्कर देखने को मिलती है। ठीक इसी तरह राज्य में 1998 का चुनाव काफी रोचक मोड़ पर आ गया था। उस समय 68 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव का नतीजा भाजपा और कांग्रेस के बीच बराबरी का आ गया था। दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों ने 31-31 सीटों पर जीत हासिल की थी। यहां पर बहुमत में आने के लिए 35 सीटों का जीतना जरूरी था लेकिन दोनों ही पार्टियां बहुमत हासिल नहीं कर पाई।
हालांकि इस चुनाव में बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हो गई थी। दरअसल भारतीय जनता पार्टी ने विकास कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया था और हिमाचल विकास कांग्रेस के पांच विधायकों का सपोर्ट मिल गया था, जिसके दम पर प्रेम कुमार धूमल सूबे के मुख्यमंत्री बने।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में भारती जनता पार्टी पहली बार साल 1982 में चुनाव लड़ा थी। उस समय बीजेपी के 29 विधायक चुने गए थे। वहीं इससे पहले 1967 और 1972 में भारतीय जनसंघ, जबकि 1977 में जनता पार्टी चुनाव लड़ी थी।
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