Bihar Diwas नई दिल्ली, Bihar Diwas आज बिहार राज्य को कुल 110 वर्ष हो गए हैं. 22 मार्च साल 1912 में बंगाल से इस राज्य को अलग कर अंग्रेज़ों ने एक अलग प्रान्त बनाया था. मगध साम्राज्य के समय से लेकर देश के आज़ाद होने तक बिहार का देश के लिए योगदान रहा अतुलनीय है. […]
नई दिल्ली, Bihar Diwas आज बिहार राज्य को कुल 110 वर्ष हो गए हैं. 22 मार्च साल 1912 में बंगाल से इस राज्य को अलग कर अंग्रेज़ों ने एक अलग प्रान्त बनाया था. मगध साम्राज्य के समय से लेकर देश के आज़ाद होने तक बिहार का देश के लिए योगदान रहा अतुलनीय है.
हम सभी जानते हैं की बिहार में भारत का महत्वपूर्ण इतिहास बस्ता है. बौद्ध धर्म और जैन धर्म दोनों ही काफी प्राचीन हैं और आज के समय में भी फलफूल रहे हैं. बिहार ही वह भूमि है जहां इन दोनों धर्मों का उदय हुआ और इनके प्रवर्तक जैन धर्म के महावीर स्वामी तथा बौद्ध धर्म के गौतम बुद्ध दोनों ने बिहार में ही जन्म लिया.
531 ईसा पूर्व में जिस वृक्ष के नीचे बैठ कर भगवान् गौतम बुद्ध ने अपना ज्ञान प्राप्त किया था वह वृक्ष बिहार का राजकीय चिन्ह है. इसके अलावा राज्य के अन्य चिन्ह के बारे में भी हम आपको बताते हैं. बिहार का राजकीय चिह्न – बोधि वृक्ष है जिसे आप जान चुके होंगे. राजकीय पशु – बैल, राजकीय पक्षी – गोरैया, राजकीय पुष्प – गेंदा, राजकीय वृक्ष – पीपल, राजकीय खेल – कबड्डी है.
बिहार का योगदान भारत की राजधानी में भी अतुल्य है. वीर कुंवर सिंह ने जहां 1857 की क्रांति में अंग्रेज़ों के खिलाफ डर लेकर आये थे. बिहार के ही चंपारण से ही राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया गया था.
शुरुआती विश्वविद्यालयों में से एक नालंदा को कौन नहीं जनता होगा. शुरुआत में इसी विश्वविद्यालय में देश विदेश से हजारों की संख्या में छात्र शिक्षा ग्रहण करने बिहार आया करते थे. ये स्थल तो पर्यटकों का आकर्षण है ही साथ ही में और भी कई जगहें हैं जो बिहार में पर्यटन के लिए काफी मशहूर है.
पुराने ज़माने का पाटलिपुत्र इतिहास रखता है. गंगा किनारे बसा ये शहर कई बड़े वंशों का साक्षी रहा है. शहर में गोलघर, गुरु गुरु गोविंद सिंह जी की जन्मस्थली घूमने लायक स्थान हैं.
बोधगया
राजगीर
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