जयपुर: पतंगबाजी करने वालों के लिए राजस्थान से अच्छी खबर आ रही है. राजस्थान पर्यटन विभाग की तरफ से राज्य में काइट फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। ये आयोजन 14 जनवरी से जयपुर में किया जायेगा। इसके साथ ही बीकानेर शहर में ऊंट महोत्सव का आयोजन राज्य सरकार की तरफ से किया जायेगा। सजे धजे ऊंटों के साथ-साथ पशुपालक भी इस आयोजन में शामिल होंगे।
बीकानेर ऊंट महोत्सव में लोग बीकानेर कार्निवल का लुत्फ़ उठा सकेंगे। इसके साथ ही राजस्थान में पशु मेले का आयोजन किया जायेगा। दरअसल 27 जनवरी से 30 जनवरी तक नागौर में पशु मेला का आयोजन किया जायेगा। इस मेले में 10 हजार से ज्यादा पशुओं को पशुपालक सजा-धजाकर बेचने के लिए इस मेले में लाएंगे। इस दौरान इस मेले में मिर्च का बाजार भी लगेगा।
राजस्थान पर्यटन विभाग सैलानियों के लिए खास तरह का मेला लगा रहा है। इससे राज्य में आने वाले पर्यटकों को जयपुर, बीकानेर और नागौर के साथ साथ राजस्थानी पारंपरिक पहनावा, खान-पान और हैंडीक्राफ्ट के साथ ही राजस्थान के सुनहरे दृश्य को काफी करीब से जानने को मिलेगा। इस दौरान राज्य सरकार जल महल की पाल पर पतंगबाजी उत्सव का आयोजन करेगी। इस आयोजन से जयपुर का आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से सराबोर रहेगा। इस दौरान खाने शौकीन लोगों के लिए भी खास इंतजाम रहेगा.
तिल पट्टी, तिल के लड्डू, रेवड़ी और गजक की महक से जयपुर का वातावरण खुशनुमा रहेगा। इस दौरान खान-पान में परंपरागत खाना खाने वालों का भी खास ख्याल रखा गया है. इसमें दाल की पकौडियां, तिल के लड्डू और फीणी-घेवर का स्वाद लेने के साथ-साथ सैलानियों की नजर पतंगबाजी प्रतियोगिता पर नजर रहेगी। पतंगबाजी के दौरान शाम का नजारा पूरे जयपुर को रंगीन दृश्य में सराबोर कर देगा।
राजस्थान के बीकानेर में आयोजित होने वाला ऊंटों का त्यौहार की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग पहचान है। इस फेस्टिवल में में राजस्थान के ऊंटों का अलग-अलग अंदाज देखने को मिलता है. ऊंटों के शरीर पर की गई कलाकारी भी देखने को मिलती है। राजस्थान के इस फेस्टिवल में ‘बीकानेर कॉर्निवाल’ बेहद ही आकर्षण का केंद्र रहने वाला है। इस उत्सव में ऊंट दौड़ के साथ- साथ ऊंटों को सजाने और संवारने की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएगी।
राजस्थान का नागौर एक ऐतिहासिक शहर है। नागौर में हर साल जनवरी और फ़रवरी महीने में लगने वाला ये पशु मेला इस बार 28 से 30 जनवरी को लगेगा। पशु मेले के रूप में विख्यात इस मेले में करीब 10 हजार घोड़ो, ऊंट और बैल की खरीद बिक्री होती है। इस मेले में पशुओं को लाने से पहले सजाया जाता है साथ ही पशु मालिक रंग-बिरंगी और परंपरागत कपड़ो में नजर आते है. इस मेले में जानवरों के अलावा मसालों का भी कारोबार किया जाता है
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