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Keshav Prasad Maurya Son accident: शपथ ग्रहण के एक दिन बाद ही उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य के बेटे का एक्सीडेंट

Keshav Prasad Maurya Son accident लखनऊ, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बेटे की गाड़ी का एक्सीडेंट (Keshav Prasad Maurya Son accident) हो गया है. बता दें जालौन में आलमपुर बाईपास के करीब हुए इस हादसे में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के बेटे बाल-बाल बचे हैं. फॉर्चूनर और ट्रैक्टर में हुई भिड़ंत बता […]

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Keshav Prasad Maurya Son accident: शपथ ग्रहण के एक दिन बाद ही उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य के बेटे का एक्सीडेंट
  • March 26, 2022 6:38 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

Keshav Prasad Maurya Son accident

लखनऊ, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बेटे की गाड़ी का एक्सीडेंट (Keshav Prasad Maurya Son accident) हो गया है. बता दें जालौन में आलमपुर बाईपास के करीब हुए इस हादसे में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के बेटे बाल-बाल बचे हैं.

फॉर्चूनर और ट्रैक्टर में हुई भिड़ंत

बता दें योगेश कुमार मौर्य अपनी फॉर्च्यूनर गाड़ी से जा रहे थे, इसी बीच उनकी फॉर्च्यूनर और ट्रैक्टर में जोरदार टक्कर हो गई. इस हादसे की जानकारी मिलते ही मौके पर कालपी कोतवाली पुलिस पहुंच गई है.

गौरतलब है, शुक्रवार को ही केशव प्रसाद मौर्य ने दूसरी बार उत्तर प्रदेश में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड जीत मिलने के बाद योगी आदित्यनाथ एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं, यूपी में बतौर सीएम ये योगी आदित्यनाथ का दूसरा कार्यकाल होगा. योगी आदित्यनाथ के सीएम पद की शपथ लेने के बाद केशव प्रसाद मौर्य (Who is Keshav Prasad Maurya) ने एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की. बता दें, केशव मौर्या सिराथू से चुनाव हार गए थे, लेकिन चुनाव हारने के बाद भाजपा ने उनपर विश्वास जताते हुए एक बार फिर उन्हें उपमुख्यमंत्री की कमान सौंप दी है. केशव प्रसाद मौर्य के साथ ब्रजेश पाठक ने भी उत्तर प्रदेश में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई 1969 को कौशांबी जिले में हुआ, मौर्य कौशांबी के सिराथू के कसिया गांव के निवासी हैं. उनके पिता श्याम लाल वहीं चाय की दुकान चलाते थे, मौर्य भी वहां पिता की दूकान चलने में मदद करते और चाय बेचते थे. उनकी पढ़ाई-लिखाई भी गांव में ही हुई है. गांव से जुड़े रहने की वजह से केशव प्रसाद मौर्य को जमीनी नेता माना जाता है.

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