तिरुवनंतपुरम: बीबीसी डॉक्यूमेंट्री इंडिया- द मोदी क्वेश्चन पर अब विवाद सियासी मोड़ ले रहा है. बीते दिनों JNU और जामिया युनिवर्सिटी में छात्रों द्वारा स्क्रीनिंग को लेकर हुए बवाल के बाद अब कांग्रेस ने भी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने के ऐलान कर दिया है. केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) ने आज(26 जनवरी) तिरुवनंतपुरम के शांघुमुगम […]
तिरुवनंतपुरम: बीबीसी डॉक्यूमेंट्री इंडिया- द मोदी क्वेश्चन पर अब विवाद सियासी मोड़ ले रहा है. बीते दिनों JNU और जामिया युनिवर्सिटी में छात्रों द्वारा स्क्रीनिंग को लेकर हुए बवाल के बाद अब कांग्रेस ने भी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने के ऐलान कर दिया है. केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) ने आज(26 जनवरी) तिरुवनंतपुरम के शांघुमुगम समुद्र तट पर बीबीसी डॉक्यूमेंटरी की स्क्रीनिंग का ऐलान किया है.
गौरतलब है कि इससे पहले भी कांग्रेस और सीपीआई की यूथ विंग ने तिरुवनंतपुरम के पूजाप्पुरा में डॉक्यूमेंट्री की स्पेशल स्क्रीनिंग की थी. दूसरी ओर भाजपा कार्यकर्ता इसका विरोध कर रहे हैं. पहले भी कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध करते हुए तोड़फोड़ की थी. बता दें, इस डॉक्यूमेंटरी के दो पार्ट है जो 2002 में हुए गुजरात दंगों का विस्तार से जिक्र करती है. इस दौरान पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हैं. जहां केंद्र सरकार बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री को खारिज करते हुए प्रोपेगेंडा बता चुकी है.
बता दें, बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर मचे सियासी घमासान से केरल में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल के एंटनी ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है. दरअसल पिछले दिनों अनिल ने खुलकर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री का विरोध किया। उन्होंने इस डॉक्यूमेंट्री को गलत उदाहरण सेट करने वाला बताया था.
बीबीसी की यह डॉक्यूमेंट्री दावा करती है कि उन्होंने अपने स्तर पर साल 2002 में होने वाले गुजरात दंगों से जुड़े कुछ पहलू की पड़ताल की है. बता दें, दंगों के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही गुजरात के मुख्यमंत्री थे. इस डॉक्यूमेंटरी में ब्रिटिश सरकार की एक खुफिया रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि गुजरात दंगों में एथनिक क्लेंज़िंग के निशान थे. इसी डॉक्यूमेंटरी और दावों से सारा बवाल शुरू हुआ जहां विवाद को बढ़ता देख सरकार ने कथित रूप से यूट्यूब और ट्विटर लिंक को हटाने के आदेश दिए हैं.
विपक्षी दलों ने इस कदम के लिए सरकार की आलोचना की है. साथ ही डॉक्यूमेंट्री को ब्लॉक करने के फैसले को सेंसरशिप करार दिया है. इसके अलावा एडवाइजरी को दरकिनार करते हुए JNU और जामिया समेत के कई युवा और छात्र संगठनों ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग यूनिवर्सिटी कैंपस में करने की मांग की है. JNU में इसे लेकर पथराव भी हुए. अब जामिया में छात्रों का धरना प्रदर्शन भी जारी है.
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