कर्नाटक में फिर शुरू हुआ भाषा पर विवाद, प्रदर्शनकारियों ने तोड़े अंग्रेजी साइनबोर्ड

नई दिल्ली। कर्नाटक में भाषा को लेकर हो रहा विवाद (language Row In Karnataka) बढ़ता जा रहा है। दुकानों के नेमबोर्ड पर 60 प्रतिशत कन्नड भाषा के इस्तेमाल वाले बेंगलुरू नगर निगम के आदेश के बाद कन्नड़ समर्थक समूहों ने केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया। विरोध […]

Advertisement
कर्नाटक में फिर शुरू हुआ भाषा पर विवाद, प्रदर्शनकारियों ने तोड़े अंग्रेजी साइनबोर्ड

Arpit Shukla

  • December 27, 2023 2:37 pm Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्ली। कर्नाटक में भाषा को लेकर हो रहा विवाद (language Row In Karnataka) बढ़ता जा रहा है। दुकानों के नेमबोर्ड पर 60 प्रतिशत कन्नड भाषा के इस्तेमाल वाले बेंगलुरू नगर निगम के आदेश के बाद कन्नड़ समर्थक समूहों ने केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन के सामने आए वीडियो में महिलाओं और पुरुषों को, कुछ पीले और लाल स्कार्फ (कन्नड़ ध्वज के रंग) में कोर्टयार्ड में घुसते और अंग्रेजी साइनेज को फाड़ते हुए देखा जा सकता है।

कर्नाटक में भाषा पर विवाद

वहीं एक अन्य वीडियो में एक प्रदर्शनकारी सैलून और स्पा के अंग्रेजी साइनबोर्ड को फाड़ते हुए नजर आ रहा है। वहीं एयरटेल स्टोर के बाहर लाल और पीले झंडे लहराते हुए विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वहीं एक शख्स दुकान पर अंग्रेजी में लगे साइन बोर्ड पर काला पेंट छिड़ककर उसको खराब करने की कोशिश कर रहा है। प्रदर्शनकारी शहर के नागरिक निकाय के उस निर्देश को तत्काल लागू करने की मांग कर रहे हैं, जिसके तहत दुकानदारों को 60 प्रतिशत कन्नड़ भाषा बोर्ड पर इस्तेमाल करनी होगी। ये आदेश कर्नाटक रक्षणा वेदिके के साथ एक बैठक के बाद दिया गया।

क्या है मामला?

बीबीएमपी प्रमुख तुषार गिरि नाथ ने कहा कि नागरिक निकाय के अधिकार क्षेत्र में कमर्शियल दुकानों को 28 फरवरी तक निर्देश का पालन करना होगा, वरना उनकी दुकानों का लाइसेंस सस्पेंड करने सहित अन्य कानूनी कार्रवाई भी करनी पड़ सकती है। बता दें कि अक्टूबर में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक में रहने वाले हर व्यक्ति को कन्नड़ बोलना सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सभी कन्नड हैं। अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले लोग यहां पर बस गए हैं। लेकिन यहां रहने वाले सभी लोगों को कन्नड़ बोलना सीखना चाहिए।

Advertisement