Karnataka Political Crisis: कर्नाटक में दो निर्दलीय उम्मीदवारों ने एचडी कुमारस्वामी की कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. हालांकि सरकार को इससे कोई खतरा नहीं है लेकिन राज्य में सियासी गहमागहमी बढ़ गई है. 18 जनवरी को बेंगलुरु में कांग्रेस ने बैठक बुलाई है और नाराज विधायकों को मनाने का फॉर्म्युला भी खोज निकाला है.
बेंगलुरु. कर्नाटक में दो निर्दलीय विधायकों के एचडी कुमारस्वामी की कांग्रेस-जेडीएस सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद राजनीतिक भूचाल आ गया. तेजी से बदले सियासी घटनाक्रम को देखते हुए कांग्रेस एक्शन में आ गई है. पार्टी ने 18 जनवरी को बेंगलुरु में बैठक बुलाई है और नाराज विधायकों को मंत्री पद दिए जाने का आश्वासन दिया है. पार्टी ने अपने विधायकों को ‘सुरक्षित’ रखने की मुहिम भी शुरू कर दी है. बुधवार को सीएम कुमारस्वामी ने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर मौजूदा हालात से निकलने की रणनीति पर बातचीत की. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है. मैं सभी विधायकों से संपर्क में हूं.
कांग्रेस के सांसद केएच मुनियप्पा ने बुधवार को नाराज विधायकों को मनाने की भी कोशिश की. उन्होंने कहा कि अगले कैबिनेट विस्तार में उन्हें मौका दिया जाएगा. सांसद ने कहा, मैं उन सभी को वापस आने का निमंत्रण देता हूं जो पाला चेंज कर चुके हैं. दूसरी पीढ़ी के जिन कांग्रेसियों को चुनाव में जीत मिली है, उन्हें असुरक्षित महसूस नहीं करना चाहिए. राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल आपकी समस्याओं से वाकीफ हैं और अगले कैबिनेट विस्तार में आपको मौका दिया जाएगा.
हालांकि सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में 5 कांग्रेस विधायक भी बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. 224 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी के 104, कांग्रेस के 80 और जेडीएस के 37 विधायक हैं. बहुमत का आंकड़ा 113 है. दो निर्दलीय उम्मीदवारों के जाने से भी गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि कुमारस्वामी सरकार के पास 117 विधायकों का समर्थन है.
अगर कुमारस्वामी सरकार को सत्ता से हटाना है तो बीजेपी को 14 कांग्रेसी विधायकों से इस्तीफा दिलवाना होगा, जिससे सदन में सदस्यों की संख्या 210 हो जाएगी. यहां दोनों निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल कर बीजेपी सरकार बना सकती है. लेकिन यह प्रक्रिया बेहद मुश्किल है. अगर बीजेपी ऐसा कर भी लेती है तो भी शायद वह सरकार न बना पाए. ऑपरेशन लोटस 2.0 से खुश नजर नहीं आ रहे सूत्रों ने कहा कि बीजेपी राष्ट्रपति शासन के तहत कर्नाटक में लोकसभा चुनाव लड़ना चाहेगी.