बेंगलुरु. कर्नाटक में एक बार फिर हलाल मीट पर पाबंदी लगाने को लेकर बवाल छिड़ गया है. दरअसल, इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ भाजपा सरकार और विपक्षी कांग्रेस में तकरार देखने को मिल रही है. राज्य विधानसभा के बेलगावी में जारी सत्र के दौरान हलाल मीट पर पाबंदी लगाने के लिए एक विधेयक लाने की तैयारी […]
बेंगलुरु. कर्नाटक में एक बार फिर हलाल मीट पर पाबंदी लगाने को लेकर बवाल छिड़ गया है. दरअसल, इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ भाजपा सरकार और विपक्षी कांग्रेस में तकरार देखने को मिल रही है. राज्य विधानसभा के बेलगावी में जारी सत्र के दौरान हलाल मीट पर पाबंदी लगाने के लिए एक विधेयक लाने की तैयारी की जा रही है.
कर्नाटक विधान परिषद में भाजपा के सदस्य एन. रविकुमार विधेयक लाने की बात कर रहे हैं, इस संबंध में उनका कहना है कि एफएसएसएआई (FSSAI) के अलावा किसी अन्य निकाय द्वारा खाद्य वस्तुओं का प्रमाणन नहीं करना चाहिए, वहीं बगैर एफएसएसएआई सर्टिफिकेट के हलाल मीट के विक्रय पर पाबंदी लगानी ही चाहिए.
हलाल मीट पर पाबंदी लगाने को लेकर ही इस साल मार्च में भी उस समय अशांति पैदा हो गई थी, जब हिंदूवादियों ने उगाड़ी उत्सव के दौरान राज्य में हलाल मांस के बहिष्कार का आह्वान किया था और अब एक बार फिर इस मुद्दे पैर बवाल छिड़ गया है. कहा जा रहा है कि भाजपा का एक धड़ा विधेयक पारित कर इसे कानूनी मान्यता देना चाहता है. ऐसे में, भाजपा के सदस्य रविकुमार ने इसे एक निजी बिल के रूप में पेश करने की योजना बनाई और राज्यपाल थावरचंद गहलोत को इस बारे में लिखा था, हालांकि, अब इसे वे सरकारी विधेयक के रूप में पेश करना चाह रहे हैं.
वहीं इस मुद्दे पर कांग्रेस का कहना है कि हम भाजपा की रणनीति समझते हैं. वह अपनी विफलता, भ्रष्टाचार और मतदाता डेटा चोरी जैसे मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाना चाहती है इसलिए हलाल मीट विरोधी बिल लाकर विधानसभा चुनाव से पहले सांप्रदायिक आधार पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की तैयारी कर रही है.
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