उत्तराखंड के गगनदीप सिंह की तरह कर्नाटक के इस पुलिसवाले ने जान पर खेलकर बचाई दो मुस्लिमों की जान, वर्ना भीड़ पीटकर मार डालती

हाल ही में बच्चा चोर की अफवाह पर मारे गए गूगल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर के साथ चार अन्य लोग कार में सवार थे. वहां करीब 2500 लोग मौजूद थे. एक युवा पुलिसकर्मी मल्लिकार्जुन कार सवार दो लोगों को भीड़ से कवर करता रहा औऱ उन्हें सुरक्षित बचाने में कामयाब रहा. इस दौरान मल्लिकार्जुन के घुटने का कैप भी टूट गया और वे काफी चोटिल हुए. मल्लिकार्जुन की कहानी उत्तराखंड के गगनदीप सिंह की तरह ही है जो एक मुस्लिम युवक को भीड़ से बचाने में कामयाब हुए थे.

Advertisement
उत्तराखंड के गगनदीप सिंह की तरह कर्नाटक के इस पुलिसवाले ने जान पर खेलकर बचाई दो मुस्लिमों की जान, वर्ना भीड़ पीटकर मार डालती

Aanchal Pandey

  • July 19, 2018 3:20 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. नैनीताल के रामनगर के गरजिया मंदिर के बाहर उग्र हिंदू युवाओं की भीड़ से मुसलमान युवा को बचाने वाले पुलिस इंस्पेक्टर गगनदीप सिंह तो आपको याद ही होंगे. गगनदीप सिंह की तरह ही कर्नाटक के बीदर में 10 पुलिसकर्मियों ने खुद की जान की परवाह किए बगैर चार व्यक्तियों को बचाने में कामयाबी पाई. मामला बच्चा चोरी से जुड़ी अफवाह का है जिसमें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था.

मल्लिकार्जुन ने द् न्यूज मिनट को बताया कि वहां करीब 2500 लोग इकट्ठा थे जिन्होंने एक कार को घेर रखा था. इनमें से कुछ कार में बैठे लोगों को गाली दे रहे थे और पीट रहे थे. मेरी पहली कोशिश थी भीड़ को शांत करने की. हम सभी पुलिस ऑफिसर्स डरे हुए थे क्योंकि इस तरह का नजारा हमने पहले कभी नहीं देखा था. हमने मोहम्मद आजम के अलावा कार सवार चार लोगों को भीड़ से बचा लिया. 32 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर मोहम्मद आजम की भीड़ ने पीट- पीटकर हत्या कर दी थी. बूटाकुला गांव के लोगों का आरोप था कि उन्होंने बस स्टॉप के नजदीक आजम को बच्चों को चॉकलेट देते देखा था. इसी से चर्चा चली कि कार सवार आजम और उसके रिश्तेदार बच्चा चोर हैं.

दरअसल, पांच लोग कार से यात्रा कर रहे थे. तभी व्हाट्सएप पर एक मैसेज आया कि लाल कार में सवार लोग बच्चा चोर हैं जो अभी बुटकुला गांव से गुजरने वाले हैं. यह अफवाह इतनी तेजी से उड़ी कि पास के ही मुर्की गांव के निवासियों ने रोड़ जाम कर दिया और लाल कार का इंतजार करने लगे. आजम और उनके रिश्तेदारों के पास गाड़ी रोकने लिए वक्त नहीं था और वे जल्दी में थे. इसीलिए उन्होंने कार को पास के ही एक पुल से मोड़ने का प्रयास किया. इतने में ही भीड़ कार के पास आ गई और उसमें सवार लोगों को खींच लिया.

इसके बाद पुलिस वहां पहुंची. सर्किल इंस्पेक्टर सहित अन्य पुलिसकर्मियों ने भीड़ को समझाने का प्रयास किया. इस पर भीड़ में शामिल लोगों ने कहा कि ये बच्चा चोर हैं और इनकी कार की डिग्गी में राइफल और धारदार हथियार छिपे हैं. मल्लिकार्जुन कहते हैं, जब भीड़ के सामने उनकी कार की तलाशी ली गई तो उसमें ना कोई हथियार मिला और न ही राइफल. इस पर भी भीड़ को संतुष्टि नहीं हुई और उन्हें बच्चा चोर बताती रही. इस पर हमने भीड़ से बातचीत कर समझाने का प्रयास किया. लेकिन वे सुनने को तैयार ही नहीं थे. जिस वक्त वे लोगों को समझा रहे थे उसी समय कुछ लोग आजम गर्दन में रस्सी बांधकर उसे कार से खींच रहे थे.

मल्लिकार्जुन कहते हैं, यह वही समय था जब भीड़ कार सवार लोगों की जान लेने पर उतारू थी. वे आजम को रस्सी से बांधकर खींच रहे थे और अन्य लोगों को भी बाहर खींचकर पीट रहे थे. भीड़ ने मोहम्मद सलमान, सलहम अल-कुवैसी, नूर मोहम्मद और अफरोज को कार से बाहर खींचने के बाद उन्हें पीटना शुरू कर दिया. हालांकि, नूर अपनी जान बचाने के लिए भागने में कामयाब रहे. भीड़ पत्थर बरसाते हुए उनका पीछा कर रही थी.

नूर का पीछा कर रही भीड़ से इतर में कतर से आए एक व्यक्ति की जान बचाने की कोशिश कर रहा था. भीड़ पत्थर बरसा रही थी और मैं उसे कवर कर रहा था. इस दौरान मेरे चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों में काफी चोट आई. एक पत्थर मेरी आंख के नजदीक लगा जिससे खून बहने लगा. मैंने देखा कि भीड़ नूर के पीछे पत्थर बरसाती दौड़ रही है तो मैंने एक ऑफिसर से उसे बचाने के लिए कहा .

मल्लिकार्जुन को तभी एक टूटी हुई लाठी मिल गई जिससे उन्होंने भीड़ को डराना शुरू कर दिया. मल्लिकार्जुन ने भीड़ को लाठीचार्ज करने की धमकी दी और उन्हें आगे बढ़ने से रोकने में कामयाब रहे. तभी एक आदमी बाइक पर गुजर रहा था जिसके साथ मल्लिकार्जुन नूर मोहम्मद को वहां से दूर भेज दिया. मल्लिकार्जुन कहते हैं कि मुझे नहीं पता कि मैं कैसे और कब तक भीड़ से उन्हें बचा पाऊंगा लेकिन जब बाइक सवार रुका तो मुझे लगा कि यहीं कहीं भगवान है. वे कहते हैं बाइक सवार अच्छा आदमी था और उसने नूर को उसके रिलेटिव के यहां छोड़ दिया.

मल्लिकार्जुन फिर सलाम के लिए कवर प्रदान करने के लिए लौट आए जिसे भीड़ बेतहाशा पीट रही थी. जब तक बीदर के डिप्टी एसपी स्पॉट पर पहुंचे, तब तक वह लगभग 30 मिनट तक भीड़ से सलहम को कवर करने में कामयाब रहे लेकिन भीड़ का क्रोध शांत नहीं हुआ था. इस दौरान मुझे अपनी पीठ का भी एहसास नहीं हो रहा था क्योंकि लोग मुझे लाठियों से करीब 30 मिनट तक पीटते रहे. तभी डिप्टी एसपी पहुंचे और उन्होंने भीड़ को समझाया. इस दौरान मैं बहुत डरा हुआ था. तब में वहां घूम ही रहा था कि एक पत्थर मेरे घुटने पर आकर लगा.

कर्नाटकः व्हाट्सएप पर फैली बच्चा चोरी की अफवाह, भीड़ ने गूगल इंजीनियर को पीट-पीटकर मार डाला

अपने बच्चे से मिल रहे पिता को भीड़ ने समझ लिया बच्चा चोर और जमकर कर दी पिटाई

Tags

Advertisement