नई दिल्ली। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की नई लिस्ट जारी की है। इसमें नॉर्थ ईस्ट दिल्ली से कन्हैया कुमार को टिकट दिया गया है। जिसके बाद यह तय हो गया कि बीजेपी के मनोज तिवारी के सामने कांग्रेस के कन्हैया मैदान में होंगे। कन्हैया कुमार के नाम के ऐलान के बाद नॉर्थ […]
नई दिल्ली। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की नई लिस्ट जारी की है। इसमें नॉर्थ ईस्ट दिल्ली से कन्हैया कुमार को टिकट दिया गया है। जिसके बाद यह तय हो गया कि बीजेपी के मनोज तिवारी के सामने कांग्रेस के कन्हैया मैदान में होंगे। कन्हैया कुमार के नाम के ऐलान के बाद नॉर्थ ईस्ट का मुकाबला हाई प्रोफाइल हो गया है। वो भोजपुरी सुपरस्टार व दो बार के सांसद मनोज कुमार को सीधी टक्कर देंगे। आइए जानते हैं कि दोनों के बीच का मुकाबला इतना अहम क्यों है? आखिर मनोज तिवारी के लिए खतरे की घंटी कैसे बज गई है?
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में सबसे ज्यादा आबादी पूर्वांचल की है। यह पूरे भारत का सबसे घनी आबादी वाला इलाका माना जाता है। मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार दोनों पूर्वांचल से आते हैं। इस इलाके में गोकुलपुरी, करावल नगर, बुराड़ी, सीमापुरी जैसे क्षेत्र आते हैं। यहां पर न सिर्फ बिहार बल्कि यूपी और हरियाणा से आकर काम करने वाली बहुत बड़ी आबादी रहती है। लोकसभा चुनाव में इनका वोट किसकी तरफ जाएगा यह देखने वाला रहेगा।
2020 में हुए सांप्रदायिक दंगे के बाद नॉर्थ ईस्ट दिल्ली पूरी दुनिया में चर्चा में आ गया था। दंगे के बाद से इलाके में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण ज्यादा देखा गया है। सीलमपुर, मुस्तफाबाद, करावल नगर, बाबरपुर जैसे क्षेत्र में मुस्लिम जनसँख्या अधिक है। पूरे लोकसभा क्षेत्र में 21% वोटर मुस्लिम समुदाय से आते हैं। मुस्लिम वोट कन्हैया कुमार के खाते में एकमुश्त जाएगा और साथ ही हिंदू वोटरों में भी कन्हैया की पकड़ देखने को मिलेगी। पूरी संभावना है कि चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण देखने को मिलेगा।
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली से बीजेपी उम्मदीवार मनोज तिवारी यहां से दो बार सांसद रह चुके हैं। उनकी इस इलाके में काफी अच्छी पकड़ है। अभिनेता और गायक के तौर पर इस इलाके में उनकी तगड़ी फैन फॉलोइंग है। कन्हैया कुमार की छवि स्टार वाली है। JNU में अपने वायरल भाषण की वजह से वो रातोंरात स्टार बन गए थे। अपने भाषणों में कन्हैया युवाओं का मुद्दा उठाते रहते हैं।
कन्हैया कुमार राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान काफी एक्टिव थे। यात्रा के समय युवाओं को उसमें जोड़ने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। राहुल की सेना के सबसे भरोसेमंद सिपाहियों में कन्हैया गिने जाते हैं। वहीं मनोज तिवारी बीजेपी और पीएम मोदी के लिए कितने ख़ास है उसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों में सिर्फ मनोज तिवारी का टिकट रिपीट किया गया है। खुद को वो नरेंद्र मोदी का सिपाही मानते हैं। बतौर स्टार प्रचारक भी वो पार्टी में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
नार्थ ईस्ट दिल्ली से मनोज तिवारी जीते या फिर कन्हैया कुमार लेकिन यह तय है कि जो इस जंग को जीतेगा उसकी भूमिका पार्टी में काफी महत्वपूर्ण होगी। मौजूदा समय में आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल समेत अन्य बड़े नेता जिस तरह से भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हुए हैं, उससे यह तो तय है कि जो जीतेगा पार्टी उनके ऊपर दिल्ली की जिम्मेदारी छोड़ सकती है।