नक्सलवाद का गढ़ होने से लेकर खेलों के हब बनने तक का सफर, जानें बस्तर की अद्भुत विकास यात्रा

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र की पहचान पहले नक्सलवाद के गढ़ के रूप में होती थी, लेकिन अब इसे खेल के हब के नाम से जाना जाता है। इस विकास यात्रा में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का बड़ा योगदान है। उनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार की दृढ़ता के कारण बस्तर में अद्भुत परिवर्तन आया है। […]

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नक्सलवाद का गढ़ होने से लेकर खेलों के हब बनने तक का सफर, जानें बस्तर की अद्भुत विकास यात्रा

Neha Singh

  • August 23, 2024 10:22 am Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र की पहचान पहले नक्सलवाद के गढ़ के रूप में होती थी, लेकिन अब इसे खेल के हब के नाम से जाना जाता है। इस विकास यात्रा में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का बड़ा योगदान है। उनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार की दृढ़ता के कारण बस्तर में अद्भुत परिवर्तन आया है। आज बस्तर ने नक्सलवाद की पहचान को पीछे छोड़कर राष्ट्रीय फुटबॉल चैंपियनशिप के केंद्र के रूप में भी अपनी नई पहचान बनाई है।

बस्तर में होंगे फुटबॉल टूर्नामेंट

अधिकारियों के प्रोत्साहन से, अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने बस्तर के नारायणपुर जिले की क्षमता को पहचाना है और इसे कई प्रतिष्ठित फुटबॉल टूर्नामेंटों के आयोजन स्थल के रूप में चुना है। एआईएफएफ ने बस्तर में पुरुषों की अंडर-20 राष्ट्रीय फुटबॉल चैंपियनशिप के अगले दो संस्करण आयोजित करने की प्रतिबद्धता जताई है। यह किसी भी राज्य फुटबॉल संघ के साथ एआईएफएफ का अपनी तरह का पहला समझौता है। l

परिवर्तन के पीछे मुख्यमंत्री की अहम भूमिका

बस्तर की विकास यात्रा में सीएम साय का अहम योगदान है। साई ने कहा “बस्तर में विकास की जबरदस्त गति ने नक्सलवाद की कहानी को अप्रचलित कर दिया है। यह पवित्र और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भूमि प्रतिभाओं से भी भरी हुई है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस प्रतिभा को पहचाना और इसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुखता दिलाने के लिए काम किया है।”

सीएम साय ने कहा भगवान श्री राम से हमारा जुड़ाव और शांति स्थापित करने की हमारी प्रतिबद्धता बस्तर में सकारात्मक बदलाव लाने के हमारे प्रयासों में प्रेरक शक्ति रही है और खेल इस मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। बस्तर में फुटबॉल चैंपियनशिप की मेजबानी करने की यह पहल एआईएफएफ द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल को उन क्षेत्रों में लाने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है जिन्हें पहले रुकावट माना जाता था।

संघर्ष से शक्ति तक का सफर

जैसे-जैसे बस्तर लगातार विकसित हो रहा है नक्सल प्रभावित क्षेत्र की अपनी छवि को त्याग रहा है और खेल केंद्र के रूप में अपनी नई पहचान बना रहा है। यह दूरदर्शी नेतृत्व और खेलों की एकजुटता की शक्ति के प्रभाव का एक शक्तिशाली प्रमाण है। संघर्ष से शांति तक और अब राष्ट्रीय खेल मंच पर प्रमुख स्थान पर पहुंचने की बस्तर की यात्रा विकास की एक सम्मोहक कहानी है जो देश भर के अन्य क्षेत्रों को प्रेरित करने के लिए तैयार है।

 

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