Joshimath Subsidence: धंस जाएगा इतना बड़ा इलाका! क्या कहती है ISRO की सैटेलाइट इमेज?

चमोली : ISRO ने अपनी सैटेलाइट के जरिए जोशीमठ की आपदा का जायजा लिया है. इस जाइजे में हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है. सैटेलाइट की तस्वीरें जो कहती है वो सुनकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे. सैटेलाइट द्वारा दिखाई देने वाली स्थिति की मानें तो पूरा जोशीमठ ही धंस जाएगा. इस तस्वीर […]

Advertisement
Joshimath Subsidence: धंस  जाएगा इतना बड़ा इलाका! क्या कहती है ISRO की सैटेलाइट इमेज?

Riya Kumari

  • January 12, 2023 4:29 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

चमोली : ISRO ने अपनी सैटेलाइट के जरिए जोशीमठ की आपदा का जायजा लिया है. इस जाइजे में हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है. सैटेलाइट की तस्वीरें जो कहती है वो सुनकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे. सैटेलाइट द्वारा दिखाई देने वाली स्थिति की मानें तो पूरा जोशीमठ ही धंस जाएगा. इस तस्वीर में दिखाई देने वाले पीले घेरे के अंदर मौजूद जोशीमठ का पूरा शहर है. इस एरिया में आर्मी का हेलीपैड और नरसिंह मंदिर को भी मार्क किया गया है.

डरा रही है तस्वीर

हैदराबाद स्थित ISRO के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने इस रिपोर्ट को जारी किया है. कहा जा रहा है कि इसी रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार लोगों को डेंजर से बाहर निकाल रहे ही. इस डरा देने वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ दिनों से जोशीमठ में जमीन धंसने और दरारों की के बाद 700 से ज्यादा घरों में दरारें आई हैं. सड़कों, अस्पतालों, होटल्स सभी दरक गए हैं.

यह इलाका धंसेगा

जब इसरो ने सेंटीनल-1 SAR इमेजरी को प्रोसेस किया तो पता चलता कि जोशीमठ का कौन सा और कितना बड़ा इलाका धंस सकता है. इस इमेज को DInSAR तकनीक से बनाया गया है. इसमें 7 से 10 जनवरी 2023 तक की तस्वीरें हैं जिन्हें इसी तकनीक से प्रोसेस किया गया है. इससे ये पता लगाया गया है कि कौन सा इलाका धंसने की कगार पर है.

ख़तरा हुआ साफ़

रिपोर्ट की मानें तो नवंबर 2022 तक जमीन धंसने का मामला धीमा था. पिछले सात महीनों में जोशीमठ -8.9 सेंटीमीटर जमीन के नीचे धंस गई है. लेकिन 27 दिसंबर 2022 से लेकर 8 जनवरी 2023 तक के बीच यानी पूरे 12 दिनों में जमीन धंसने की तीव्रता -5.4 सेंटीमीटर से बढ़ गई है. जोशीमठ शहर के नीचे का ड्रेनेज सिस्टम को लेकर भी चिंता जताई गई है. क्योंकि जितना अधिक ड्रेनेज होगा, वहां की मिट्टी तो धंसेगी ही. गौरतलब है कि वैज्ञानिकों ने चेताया था कि ढलान की मजबूती को बनाए रखने के लिए पोर प्रेशर को कम किया जाए. अब इस रिपोर्ट ने भी सी खतरे को साफ़ कर दिया है. यदि पानी ढलान के नीचे कम जाएगा तो वह खोखला नहीं होगा.

बता दें, इस खतरे को देखते हुए राज्य सरकार और केंद्र सरकार लगातार सक्रिय है. गुरुवार को भी जोशीमठ संकट पर गृह मंत्री अमित शाह की हाई लेवल मीटिंग बुलाई है. इसके अलावा बुधवार को खुद मुख्यमंत्री धामी जोशीमठ गए थे और वह वहाँ एक रात के लिए रुके भी थे.

दिल्ली का अगला मेयर, गुजरात चुनाव और फ्री रेवड़ी, मनीष सिसोदिया ने बताए सारे राज!

India News Manch पर बोले मनोज तिवारी ‘रिंकिया के पापा’ पर डांस करना सबका अधिकार

Advertisement