देहरादून। उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव की संभावनाओं, मकानों और इमारतों पर पड़ी दरारें दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही हैं। बता दें, लोगों की नींद गायब हो चुकी है और उनकी दिक्कतें भी बढ़ गई है।जानकारी के मुताबिक , जिन भी मकानों में दरारें सामने आई हैं, उनमें से कई लोगों को अभी भी जोशीमठ से राहत शिविरों में नहीं रखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार , जोशीमठ के 9 वार्डों के 723 घरों में दरारें बताई जा रही हैं, जिनमें से 86 ऐसे मकान है जोकि असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है।
इन सब के अलावा बाकी के मकानों में लोग दरारों को देखते हुए दिन-रात गुजारने को मजबूर हो गए है। गौरतलब है कि जोशीमठ में भूस्खलन के खतरे के बीच वहां के एक निवासी पुष्पा वर्मा का कहना है कि मैं रातभर अपने घर में पड़ी दरारों को ही देखती रहती हूं और ये डर लगा रहता है कि कही कुछ बड़ी दुर्घटना न हो जाए। उन्होंने आगे कहा कि हमारा घर कभी भी गिर सकता है और इस चिंता में मैं सो भी नही पाती हूँ। उन्होंने अंत में कहा कि वो भी राहत शिविर जाना चाहती हैं, लेकिन अभी तक प्रशासन ने उनके घर को असुरक्षित घोषित नहीं किया है , इसलिए उनको यहां रुकना पड़ रहा है ।
बता दें , चमोली प्रशासन ने जोशीमठ के सिंह धर वार्ड को बुरी तरह प्रभावित हिस्सा घोषित कर दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक , कई परिवार अपने क्षतिग्रस्त मकानों में ही रहने को मजबूर हैं, क्योंकि उनके घरों को प्रशासन ने अभी तक असुरक्षित नहीं घोषित किया है। इस 20 हजार की जनसंख्या वाले जोशीमठ में 86 घरों को असुरक्षित घोषितकर दिया गया है और 145 परिवारों को राहत शिविरों में रखा गया है।
गौरतलब है कि , सिंह धर वार्ड के रहने वाले हरीश नेगी ने बताया है कि 10 जनवरी को सर्वे टीम आई और नुकसान का जायजा लिया था। हालंकि , उन्होंने घर को असुरक्षित घोषित नहीं किया था। उन्होंने आगे कहा कि क्या टीम को दरारें नजर नहीं आती है और वे इतनी बड़ी हैं कि उन्हें नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता है। उन्होंने अंत में कहा कि हम टाइम बम पर बैठे हुए है और ऐसे समय में प्रशासन को पहले से ही सक्रिय होना चाहिए , इस खतरे को देखते हुए
उन्हें सही फैसले लेने चाहिए और इस समस्या को जल्द ही खत्म करना होगा। मुझे ऐसा लग रहा है, प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है।
बता दें , पीडब्ल्यूडी अधिकारी सुदर्शन सिंह ने इस बारे में बताया कि हमने जोशीमठ में हालातों पर लगातार नजर बनाई हुई है । उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी घर में दरारें बढ़ जाती है , तो हम तत्काल जरूरी एक्शन लेंगे।गौरतलब है कि , चमोली प्रशासन ने जोशीमठ में भू-धंसाव के खतरे को देखते हुए इसे तीन जोन खतरनाक, बफर और सुरक्षित में बांटा हुआ है। प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, जिन घरों में ज्यादा नुकसान हुआ है और जो असुरक्षित हैं, उनको खतरनाक जोन में रखा जाएगा। इसके अलावा जो घर कम खतरे वाली जगहों पर हैं, उन्हें बफर जोन में रखा जाएगा । तो वहीं दूसरी तरफ , पूरी तरह से सुरक्षित घरों को सुरक्षित जोन में रखा जाएगा।
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