नई दिल्ली: जेएनयू में अब एमफिल और पीएचडी कोर्स में दाखिला लेने के लिए आवेदकों को इंटरव्यू में पास करने के लिए नंबर लाने होंगे. दरअसल, साल 2016 तक जेएनयू में इन कोर्सों में एडमिशन के लिए 70 प्रतिशत लिखित परीक्षा और 30 प्रतिशत इंटरव्यू के हिसाब से आवेदकों का आंकलन कर एडमिशन दिया जाता था. लेकिन फरवरी 2017 में छात्रों के दबाव के बाद यूनिवर्सिटी कमेटी ने पुराने रेशो को हटाकर नए रेशो 80:20 के हिसाब से तय कर दिया.
हालांकि, यह निर्णय मई 2016 यूजीसी गैजेट की अधिसूचना को अपनाने की वजह से हटा दिया गया था. जिसमें यूजीसी ने एंटरेंस के समय सिर्फ इंटरव्यू के द्वारा एडमिशन लेने का सुझाव दिया. जिसके बाद बीते 22 दिसंबर को जेएयू के रजिस्ट्रार ने कहा कि अगर सामान्य वर्ग का कोई भी छात्र इंटरव्यू में 40 प्रतिशत से कम अंक, ओबीसी 36 प्रतिशत से कम और एससी/एसटी 30 प्रतिशत से कम अंक लाते हैं तो वे एमफिल और पीएचडी कोर्स की फाइनल लिस्ट में जगह नहीं बना पाएंगे.
इस मामले में यूनिवर्सिटी प्रॉक्टर चिंतामणि मोहापात्रा ने कहा, मान लीजिए सेंटर में तीन सीटें हैं और हमें बेस्ट तीन चाहिए. ऐसे में अगर तीसरे नंबर का अभ्यार्थी 406 प्रतिशत से कम अंक लाता है तो वह एडमिशन नहीं ले पाएगा. संस्थान की गरिमा बनाए रखने के लिए हमें यह बेंचमार्क रखना पड़ेगा. ऐसे में अगर सीटें पूरी भी नहीं हो पाती है तो कोई नुकसान नहीं है. वहीं, दूसरी तरफ छात्रों और शिक्षकों ने यूनिवर्सिटी द्वारा लिए गए किसी भी ऐसे फैसले को खारिज किया है. उनका कहना है किसी भी मीटिंग में ऐसा कोई भी फैसला नहीं लिया गया है और अगर ऐसा होता है तो इस फैसले के प्रभाव से काफी संख्या में सीटें खाली रह जाएंगी.
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