देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में जवाहर लाल यूनिवर्सिटी से छात्र नेता उमर खालिद और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर 10 हजार रुपए के जुर्माना को जेएनयू की एक उच्च स्तरीय जांच समिति ने सही ठहराया है.
नई दिल्ली. दिल्ली की जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (JNU) की उच्च स्तरीय जांच कमिटी ने गुरुवार को जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद के निष्कासन और पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर 9 फरवरी 2016 को हुई घटना को लेकर जुर्माना बरकरार रखा है. कमिटी ने कन्हैया पर 10000 रुपये जुर्माना और उमर खालिद के निष्कासन का फैसला बरकरार रखा है.
अक्टूबर 2017 को दिल्ली हाई कोर्ट ने जेएनयू के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें 15 छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई थी. इन छात्रों ने कथित तौर पर 9 फरवरी 2016 को यूनिवर्सिटी कैंपस में समारोह आयोजित कर 2001 के संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु की फांसी की निंदा की निंदा की थी. खालिद ने कथित तौर पर आयोजित समारोह में भारत विरोधी नारे लगाए थे. इस मामले का एक वीडियो भी जारी हुआ था, जिसमें छात्र भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाल्लाह, इंशाल्लाह. इस घटना के बाद खालिद पर देशद्रोह के आरोप लगाए गए थे.
समूह ने जेएनयू परिसर में हुई बैठक के दौरान कश्मीर के आत्मनिर्भरता के अधिकार की भी वकालत की थी. इस घटना के तीन दिन बाद ही दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद 26 अप्रैल 2016 को यूनिवर्सिटी की जांच में 21 छात्रों को अनुशासन तोड़ने का दोषी पाया गया था. हालांकि सजा को जेएनयू छात्रसंघ और जवाहर लाल नेहरू टीचर्स असोसिएशन (JNUTA) ने खारिज कर दिया था. निष्कासित हुए छात्रों ने इसके बाद निष्कासन को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
पिछले महीने उमर खालिद ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें गैंगस्टर रवि पुजारी की तरफ से जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. खालिद ने ट्वीट में लिखा था, “जिग्नेश और मुझे रवि पुजारी की तरफ से दी गई जान से मारने की धमकी की शिकायत दिल्ली पुलिस में दर्ज कराई.” पुजारी की हिटलिस्ट पर होने का दावा करते हुए खालिद ने पुलिस सुरक्षा की मांग की थी. उन्होंने कहा था, फरवरी, 2016 में भी इसी तरह की धमकी मिली थी. गुजरात के दलित नेता और निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने भी आरोप लगाया था कि उन्हें पुजारी की तरफ से जान से मारने की धमकी मिली है.