जानें झारखंड का भूमि घोटाला, गिरफ्तार IAS छवि रंजन पर लगे गंभीर आरोप

रांची: जमीन घोटाला के आरोप में गिरफ्तार झारखंड की IAS अफसर छवि रंजन को छह दिनों के लिए ED की हिरासत में भेज दिया गया। हालांकि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने PMLA कोर्ट में छवि रंजन की 10 दिनों की हिरासत का अनुरोध किया था। लेकिन कोर्ट से छह दिन की हिरासत मिली। छवि रंजन के […]

Advertisement
जानें झारखंड का भूमि घोटाला, गिरफ्तार IAS छवि रंजन पर लगे गंभीर आरोप

Amisha Singh

  • May 6, 2023 11:44 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

रांची: जमीन घोटाला के आरोप में गिरफ्तार झारखंड की IAS अफसर छवि रंजन को छह दिनों के लिए ED की हिरासत में भेज दिया गया। हालांकि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने PMLA कोर्ट में छवि रंजन की 10 दिनों की हिरासत का अनुरोध किया था। लेकिन कोर्ट से छह दिन की हिरासत मिली। छवि रंजन के वकील का कहना है कि छवि रंजन को 12 मई को दोबारा पेश किया जाएगा। रांची के पूर्व कमिश्नर छवि रंजन को करीब 10 घंटे तक पूछताछ के बाद गुरुवार रात गिरफ्तार कर लिया गया। ED ने इससे पहले 24 अप्रैल को छवि रंजन से मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में कई घंटों तक पूछताछ की। यही नहीं, IAS छवि रंजन के झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में अन्य ठिकानों पर भी दबिश दी गई है।

 

➨ छवि रंजन पर क्या हैं आरोप?

दरअसल ED रांची के एक सिंडिकेट के खिलाफ तफ्तीश कर रही है। इस सिंडिकेट पर रांची में 4.5 एकड़ रक्षा जमीन की बिक्री में गड़बड़ी का आरोप है। आरोप है कि इस सिंडिकेट ने सेना की वह जमीन धोखे से पश्चिम बंगाल की एक कंपनी को बेच दी। ED के मुताबिक, IAS अधिकारी छवि रंजन ने कागजात की हेराफेरी में भूमिका निभाई और इसी बीच करोड़ों रुपए कमाए। ED की मानें तो यह जमीन मूल रूप से BM लक्ष्मण राव की थी, जिन्होंने आजादी के बाद इसे सेना को सौंप दिया था। सिंडिकेट ने झूठे दस्तावेज जारी किए और गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक प्रदीप बागची को झूठा मालिक बताया। बाद में, जमीन को पश्चिम बंगाल की कंपनी Jagatbandhu Tea Estate Private Limited को बेच दिया गया था।

 

➨ IAS अधिकारी छवि रंजन कौन हैं?

छवि रंजन मौजूदा समय में सामाजिक कल्याण के निदेशक के रूप में काम कर रहे थे। उन्हें हेमंत सोरेन का भी नजदीकी माना जाता है। वह वर्ष 2011 बैच के IAS अफसर हैं। उन्हें झारखंड कैडर मिला था। SDO के पद पर उनकी पहली पोस्टिंग चक्रधरपुर में हुई थी। साल 2015 में वे कोडरमा के जिलाधिकारी बने। ऐसा भी कहा जाता है कि वह अपने कई फैसलों को लेकर अक्सर विवाद का विषय रहे हैं।

 

यह भी पढ़ें

Relationship: क्या है तलाक-ए-हसन? जानिए इस्लाम में कितने तरीके के होते हैं तलाक

 

 

Advertisement